
श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय (एसआरएमयू), बाराबंकी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं और छात्रों पर हाल ही में हुए लाठीचार्ज के विरोध में शुक्रवार को एबीवीपी ने प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत बाराबंकी में एक विशाल मशाल यात्रा निकाली। इस जुलूस में भारी संख्या में छात्रों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया, जिसने शहर की सड़कों पर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और विश्वविद्यालय प्रशासन व संबंधित अधिकारियों से न्याय की मांग की।
शक्ति प्रदर्शन और बुलंद आवाजें
एबीवीपी के पदाधिकारी आकाश शुक्ला के नेतृत्व में मशाल जुलूस छाया चौराहे से शुरू होकर सतरिख नाका चौराहे तक पहुंचा। मशालें और ‘न्याय दो-न्याय दो’, ‘एबीवीपी डायनामाइट, शिक्षा के दलालों को खत्म करो’ जैसे नारे लिखी तख्तियां लिए छात्रों ने अपनी मांगों को जोरदार तरीके से बुलंद किया। प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय प्रशासन पर भ्रष्टाचार और मनमानी फीस वसूली का गंभीर आरोप लगा रहे थे। इसके साथ ही, उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे छात्रों पर हुए लाठीचार्ज को “तानाशाही” करार दिया, और इस घटना की कड़ी निंदा की।
प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप
एबीवीपी के जिला संयोजक योगेश प्रताप सिंह ने लाठीचार्ज के बाद प्रशासन द्वारा किए गए वादों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “प्रशासन ने लाठीचार्ज के दोषियों के खिलाफ 48 घंटे में कार्रवाई का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।” सिंह ने प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि, “प्रदेश सरकार माफियाओं पर बुलडोजर चलाने की बात करती है, मगर शिक्षा माफियाओं पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?” यह बयान शिक्षा क्षेत्र में कथित अनियमितताओं और उन पर कार्रवाई न होने को लेकर एबीवीपी के असंतोष को दर्शाता है।

तीव्र आंदोलन की चेतावनी
एबीवीपी ने चेतावनी दी है कि जब तक दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका आंदोलन और तेज होगा। यह घोषणा इस बात का संकेत है कि एबीवीपी इस मामले को आसानी से छोड़ने वाली नहीं है और न्याय मिलने तक अपना संघर्ष जारी रखेगी। छात्रों ने विश्वविद्यालय की विभिन्न अनियमितताओं की जांच की भी मांग की, जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा रद्द किए गए एलएलबी कोर्स में दाखिला देना और कथित जमीन पर अवैध कब्जा शामिल है। ये आरोप विश्वविद्यालय के कामकाज में पारदर्शिता की कमी और नियमों के उल्लंघन को उजागर करते हैं।
छात्रों की एकजुटता और प्रशासन की तैयारी
मशाल यात्रा में कार्तिकेय मिश्रा, योगेश सिंह, विश्वजीत, दीपू पाठक, शशांक मिश्रा, शिवम मिश्रा, दिव्यांशु प्रताप सिंह, पुलकित त्रिवेदी, शिवम सिंह राठौड़, निशांत द्विवेदी, उत्कर्ष सिंह, प्रिंस वर्मा, आयुष सिंह, पूर्णेन्द्र चतुर्वेदी, तरुण कुमार, अभय और राम त्रिपाठी जैसे कई एबीवीपी कार्यकर्ता और छात्र शामिल हुए। छात्रों की बड़ी संख्या और उनकी एकजुटता ने इस प्रदर्शन को और अधिक प्रभावी बना दिया।
संभावित कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। एडीएम अरुण कुमार सिंह, एडिशनल एसपी विकास चंद्र त्रिपाठी, एसडीएम आनंद तिवारी और नगर कोतवाल के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

इस घटना ने उत्तर प्रदेश में छात्र राजनीति और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच बढ़ते तनाव को एक बार फिर उजागर कर दिया है। एबीवीपी का यह प्रदर्शन न केवल लाठीचार्ज के विरोध में था, बल्कि यह शिक्षा क्षेत्र में कथित भ्रष्टाचार, मनमानी फीस वसूली और अनियमितताओं के खिलाफ भी एक आवाज थी।
अब देखना यह है कि प्रशासन एबीवीपी की मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की जाती है। यदि कार्रवाई नहीं होती है, तो एबीवीपी की चेतावनी के अनुसार आंदोलन और तेज हो सकता है, जिससे राज्य में राजनीतिक और सामाजिक माहौल में और गर्माहट आ सकती है। यह घटना शिक्षा के क्षेत्र में जवाबदेही और छात्र अधिकारों के महत्व को भी रेखांकित करती है।

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