
1 अगस्त भारतीय राजनीति के लिए एक विशेष दिन है। इस दिन तीन ऐसे राजनेताओं की पुण्यतिथि होती है, जिन्होंने देश की राजनीतिक धारा को अपने-अपने अंदाज़ में आकार दिया—अमर सिंह, भीष्म नारायण सिंह और हरकिशन सिंह सुरजीत। इन नेताओं ने अलग-अलग वैचारिक पृष्ठभूमियों से आकर भारतीय लोकतंत्र को मजबूती दी और अपने कार्यों से जनता के बीच एक विशेष स्थान बनाया।
अमर सिंह: समाजवादी राजनीति का कद्दावर चेहरा
अमर सिंह, जिन्हें समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता मुलायम सिंह यादव का ‘दाहिना हाथ’ माना जाता था, एक ऐसे नेता थे जिन्होंने राजनीति में एक नया अंदाज़ और शैली पेश की। 27 जनवरी 1956 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मे अमर सिंह ने बीए और एलएलबी की पढ़ाई की। वह न केवल समाजवादी पार्टी के महासचिव रहे, बल्कि फिल्म जगत की हस्तियों जया प्रदा और संजय दत्त को राजनीति में लाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।

राज्यसभा में उनका पहला कार्यकाल 1996 में शुरू हुआ और उन्होंने तीन बार इस सदन में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। सपा से अलग होकर उन्होंने अपनी पार्टी ‘राष्ट्रीय लोक मंच’ बनाई, फिर राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हुए और 2016 में सपा में वापसी भी की। उनका राजनीतिक सफर उतार-चढ़ावों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी बेबाकी और संबंधों की राजनीति से पहचान बनाई।
भीष्म नारायण सिंह: कांग्रेस के सशक्त स्तंभ
भीष्म नारायण सिंह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कांग्रेस पार्टी में रहकर अनेक महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया। संयुक्त बिहार के हुसैनाबाद से उन्होंने 1967 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति की शुरुआत की और जल्द ही बिहार सरकार में मंत्री बने।
केंद्र में उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और खाद्य आपूर्ति मंत्री जैसे अहम पदों पर काम किया। 1984 में उन्हें असम और मेघालय का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद वह तमिलनाडु सहित सात राज्यों के राज्यपाल रहे, जो एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। 2005 में रूस सरकार ने उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप’ से सम्मानित किया, जो उनके अंतरराष्ट्रीय कद को दर्शाता है।

हरकिशन सिंह सुरजीत: वामपंथ की मजबूत आवाज़
हरकिशन सिंह सुरजीत भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के एक सशक्त स्तंभ थे। पंजाब से आने वाले सुरजीत 1992 से 2005 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव रहे और 1964 से पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी थे।
उन्होंने देश की धर्मनिरपेक्ष राजनीति को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई। विशेष रूप से उन्होंने विपक्षी दलों को एकजुट करने और गठबंधन राजनीति को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह विचारधारा के प्रति समर्पित और संघर्षशील नेता थे।

राजनीति में मतभेद होना सामान्य है, लेकिन अमर सिंह, भीष्म नारायण सिंह और हरकिशन सिंह सुरजीत जैसे नेता यह सिखाते हैं कि लोकतंत्र में विविध विचारधाराओं का सम्मान और समावेश कितना महत्वपूर्ण है। 1 अगस्त को इन तीनों नेताओं की पुण्यतिथि के अवसर पर हम उन्हें नमन करते हैं और उनके योगदान को सदा याद रखेंगे। इनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

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