
भारत-पाकिस्तान सीमा पर हर रोज आयोजित होने वाली अटारी-वाघा बॉर्डर रिट्रीट सेरेमनी के समय में बदलाव किया गया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने जानकारी दी है कि 15 अगस्त के बाद से यह आयोजन अब शाम 6 बजे से 6:30 बजे तक होगा। पहले इसका समय शाम 6:30 बजे से 7 बजे तक तय था।
मौसम के अनुरूप बदलाव
बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि बदलते मौसम और जल्दी दिन ढलने के कारण इस सेरेमनी का समय आगे खिसकाया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, यह परिवर्तन न केवल सैनिकों के लिए सुविधाजनक होगा बल्कि इसमें शामिल होने वाले हजारों पर्यटकों के लिए भी सहूलियत भरा रहेगा। समय में इस बदलाव से दर्शक पहले से बेहतर दृश्य का आनंद ले पाएंगे।

देशभक्ति से सराबोर आयोजन
रिट्रीट सेरेमनी हर दिन होने वाला वह क्षण है, जब सीमा पर देशभक्ति का जोश और सैनिकों का शौर्य एक साथ देखने को मिलता है। इसमें दोनों देशों के सैनिकों की जोशीली परेड, कदमताल और ऊर्जावान प्रदर्शन पर्यटकों को रोमांचित कर देते हैं। हर दिन भारत और विदेश से हजारों पर्यटक इस आयोजन को देखने पहुंचते हैं।
1959 से जारी परंपरा
गौरतलब है कि अटारी-वाघा बॉर्डर पर यह परंपरा 1959 से चली आ रही है। समारोह के दौरान दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज निर्धारित अनुशासन और सम्मान के साथ उतारे जाते हैं। खास बात यह है कि सूर्यास्त होते ही सीमा के गेट खोले जाते हैं, और भारतीय बीएसएफ तथा पाकिस्तानी रेंजर्स अपने-अपने झंडों को नीचे करते हैं। इसके बाद एक संक्षिप्त हाथ मिलाने की औपचारिकता होती है और फिर गेट बंद कर दिए जाते हैं।

सैलानियों के लिए बड़ा आकर्षण
अटारी-वाघा जॉइंट चेक पोस्ट अमृतसर से करीब 30 किलोमीटर और पाकिस्तान के लाहौर से लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां रोजाना करीब 25,000 दर्शक बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को देखने आते हैं। परेड की ऊर्जा, सैनिकों की गर्जनापूर्ण आवाजें और दर्शकों का उत्साह इस समारोह को और भव्य बना देता है।
राजनीतिक और सामरिक महत्व
यह सेरेमनी केवल एक सैन्य परंपरा ही नहीं, बल्कि भारत-पाक संबंधों के बीच एक प्रतीकात्मक संवाद भी है। सैनिकों के बीच औपचारिक हाथ मिलाना इस बात का संदेश देता है कि सीमाओं के बीच तनाव के बावजूद परंपरा और सम्मान कायम है। यही कारण है कि यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय है और भारत की सैन्य शक्ति तथा सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक माना जाता है।

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