
बिहार सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ को स्वीकृति देने की घोषणा की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के प्रत्येक परिवार की एक महिला को अपनी पसंद का रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। यह योजना नीतीश कुमार के उस मिशन का हिस्सा मानी जा रही है, जिसके तहत वे लंबे समय से महिला सशक्तीकरण को अपनी राजनीति के केंद्र में रखते आए हैं।
एक परिवार, एक महिला: योजना का स्वरूप
इस योजना के तहत, सरकार प्रत्येक परिवार की एक महिला को स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता देगी। पहली किश्त के रूप में ₹10,000 की राशि सीधे महिलाओं के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी। यह राशि महिलाओं को उनके पसंद का कोई भी छोटा व्यवसाय शुरू करने में मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि इच्छुक महिलाओं से आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी और सितंबर 2025 से ही राशि का वितरण प्रारंभ कर दिया जाएगा।
योजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह सहायता यहीं समाप्त नहीं होगी। महिलाओं द्वारा रोजगार शुरू करने के छह महीने बाद, एक आकलन किया जाएगा और आवश्यकतानुसार ₹2 लाख तक की अतिरिक्त सहायता भी दी जा सकेगी। इस दो-चरणीय प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महिलाएं न केवल अपना व्यवसाय शुरू कर सकें, बल्कि उसे सफलतापूर्वक चला भी सकें। इस योजना का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास विभाग करेगा और इसमें आवश्यकतानुसार नगर विकास एवं आवास विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा।
नीतीश का मिशन: महिला सशक्तीकरण और रोजगार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना को ‘अभूतपूर्व’ बताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि उनकी सरकार ने नवंबर 2005 में सत्ता में आने के बाद से ही महिला सशक्तीकरण के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। उन्होंने महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र किया और कहा कि अब महिलाएं न केवल बिहार की प्रगति में योगदान दे रही हैं, बल्कि अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रही हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि इस योजना से न सिर्फ महिलाओं की स्थिति और ज्यादा मजबूत होगी, बल्कि राज्य के अंदर ही रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे और मजबूरी में लोगों को रोजगार के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
इस योजना के तहत एक और दूरदर्शी कदम उठाते हुए सरकार ने गांवों से लेकर शहरों तक महिलाओं के उत्पादों की बिक्री के लिए हाट बाजार विकसित करने की भी योजना बनाई है। यह कदम महिलाओं के लिए एक तैयार बाजार उपलब्ध कराएगा और उनके उत्पादों को बेहतर कीमत दिलाने में मदद करेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषक इस योजना को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक और बड़ा और रणनीतिक कदम मान रहे हैं। बिहार की राजनीति में महिला वोट बैंक ने हमेशा निर्णायक भूमिका निभाई है। नीतीश कुमार ने पहले भी महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू करके इस वोट बैंक को मजबूत किया है, जैसे कि छात्राओं को साइकिल देना, पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण और ‘जीविका’ जैसे स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देना।
यह योजना ऐसे समय में आई है जब राज्य में आगामी चुनावों की सरगर्मी बढ़ रही है। इसलिए इसे मुख्यमंत्री की एक और ‘चुनावी घोषणा’ के रूप में देखा जा रहा है। यह योजना न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने का वादा करती है, बल्कि यह प्रवासन की समस्या का भी समाधान पेश करती है, जो बिहार में एक बड़ा मुद्दा है। यदि इस योजना का सफल क्रियान्वयन होता है, तो यह नीतीश कुमार के पक्ष में एक मजबूत नैरेटिव बना सकता है और उनकी छवि को एक महिला हितैषी और विकास केंद्रित नेता के रूप में और मजबूत कर सकता है।

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