
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत बुधवार को ओडिशा के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे। भुवनेश्वर के बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद उनका स्वागत स्थानीय संघ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने किया। दौरे के पहले दिन भागवत कटक स्थित गौड़ीय मठ में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होंगे। कार्यक्रम के समापन के बाद बुधवार शाम को वे पुरी के लिए रवाना होंगे, जहां उनके कई महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम तय हैं।
पुरी पहुंचने पर मोहन भागवत का शंकराचार्य से मिलने का कार्यक्रम है। इसके अलावा वे जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करेंगे और मंदिर के पुजारियों से मुलाकात करेंगे। यह दौरा संघ प्रमुख के धार्मिक और सांस्कृतिक संवाद को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है। पुरी में कार्यक्रम संपन्न होने के बाद भागवत भुवनेश्वर लौटेंगे।
स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण
मोहन भागवत 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भुवनेश्वर स्थित उत्कल विपन्न सहायता समिति में सुबह 8 बजे ध्वजारोहण करेंगे। इस अवसर पर वे कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों को संबोधित भी करेंगे। ध्वजारोहण के बाद सुबह 11:45 बजे उनका एयरपोर्ट के लिए प्रस्थान करने का कार्यक्रम तय है।

इंदौर में दिया था शिक्षा और स्वास्थ्य पर संदेश
ओडिशा दौरे से पहले मोहन भागवत मध्य प्रदेश के इंदौर में मानव सृष्टि आरोग्य केंद्र के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में शिक्षा और स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि जानकारी के लिए शिक्षा जरूरी है और ज्ञान प्राप्त करने के लिए स्वस्थ शरीर अनिवार्य है। अस्वस्थ शरीर ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता।
भागवत ने चिंता जताई थी कि आज शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों सामान्य व्यक्ति की पहुंच से दूर हो गए हैं और आर्थिक रूप से यह आमजन के लिए कठिन हो गया है। पहले ये दोनों कार्य सेवा भाव से किए जाते थे, लेकिन आज इनका व्यावसायीकरण हो गया है। उन्होंने कहा था कि पहले शिक्षा देना एक कर्तव्य माना जाता था और छात्रों को ज्ञानवान बनाना शिक्षक की जिम्मेदारी होती थी, जबकि छात्र भी सीखने के लिए प्रयासरत रहते थे।
बीमारी से लड़ने में हिम्मत का महत्व
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कैंसर का उदाहरण देते हुए कहा था कि इस रोग में मरीज की हिम्मत सबसे ज्यादा काम आती है। डॉक्टर और मरीज के बीच संवाद बना रहे तो मरीज को मानसिक बल मिलता है, जिससे वह बीमारी से जूझने की ताकत जुटा पाता है।
मोहन भागवत का यह ओडिशा दौरा संघ के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी एजेंडे को मजबूत करने के साथ ही स्थानीय कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने वाला माना जा रहा है। धार्मिक स्थलों की यात्रा और शंकराचार्य के साथ मुलाकात से उनके दौरे को विशेष महत्व मिल रहा है।

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