
अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस के अवसर पर मुंबई में आयोजित एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम में महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने मानव तस्करी और लापता व्यक्तियों के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि लापता लोगों की तलाश केवल एक पुलिसिया मामला नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का विषय है और इसके समाधान के लिए व्यापक जागरूकता आवश्यक है।
मानव तस्करी के खिलाफ तीन वर्षों से चल रहा अभियान
चाकणकर ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से महिला आयोग इस संवेदनशील विषय पर जागरूकता अभियान चला रहा है और अब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा, “इस कार्यक्रम में कई मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए, जो यह दर्शाता है कि सरकार और प्रशासन इस विषय को गंभीरता से ले रहे हैं।”
लापता व्यक्ति और मानव तस्करी का सीधा संबंध
रूपाली चाकणकर ने बताया कि लापता मामलों की जाँच में अक्सर देरी होती है और यदि चार महीने के भीतर कोई सुराग नहीं मिलता, तो यह आशंका बढ़ जाती है कि व्यक्ति मानव तस्करी का शिकार हो चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि “महिलाओं और लड़कियों को मस्कट, ओमान, दुबई जैसे देशों से भारत में लाया जाता है और कई बार इनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में किया जाता है।”
पुलिस और स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी सराहनीय
कार्यक्रम में महाराष्ट्र भर से आए पुलिस अधिकारियों और स्वयंसेवी संस्थाओं जैसे ‘बीच मार्शल दामिनी’ और स्थानीय पुलिस यूनिट की भूमिका की सराहना की गई। चाकणकर ने कहा कि इन संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी से लोगों तक सही जानकारी और सहायता समय पर पहुँच रही है।
स्कूल-कॉलेज और अभिभावकों को जोड़ने की अपील
महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि मानव तस्करी रोकने के लिए सबसे प्रभावी उपाय जागरूकता है, और इसके लिए युवाओं और अभिभावकों को सीधे जोड़ना होगा। उन्होंने कहा, “स्कूल और कॉलेज के छात्र इस विषय में जागरूक होंगे तो वे न केवल खुद सुरक्षित रहेंगे बल्कि दूसरों को भी सतर्क करेंगे।”

शासन को सौंपी जाएगी विस्तृत रिपोर्ट
कार्यक्रम के अंत में चाकणकर ने बताया कि आयोग एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसे राज्य शासन को सौंपा जाएगा। इस रिपोर्ट में जागरूकता बढ़ाने और मानव तस्करी को रोकने के लिए सुझाव दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हर लड़की, हर परिवार और हर समुदाय तक यह संदेश पहुंचे कि तस्करी से कैसे बचा जा सकता है।”
सरकारी सहयोग और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता
कार्यक्रम में महिला एवं बाल कल्याण समिति के सदस्यों और कई मंत्रियों ने भी भाग लिया और इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। सभी ने एक स्वर में कहा कि मानव तस्करी जैसी अमानवीय समस्या से लड़ने के लिए सरकार, समाज और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।
मानव तस्करी के खिलाफ यह जागरूकता कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को सचेत करने का एक गंभीर प्रयास था। रूपाली चाकणकर के नेतृत्व में राज्य महिला आयोग ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि जब तक समाज सजग नहीं होगा, तब तक ऐसी समस्याएं जड़ से खत्म नहीं होंगी।

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