
उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को विधायकों और मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों में वृद्धि का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। यह संशोधन 2016 के बाद पहली बार किया गया है। सरकार का कहना है कि यह निर्णय महंगाई और बढ़ते खर्च को देखते हुए लिया गया है।
विधायकों-मंत्रियों का वेतन बढ़ा
अब विधायकों का मासिक वेतन ₹25,000 से बढ़ाकर ₹35,000 कर दिया गया है, जबकि मंत्रियों का वेतन ₹40,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया है। इस फैसले के बाद राज्य सरकार पर प्रतिवर्ष ₹105 करोड़ 21 लाख 63 हजार का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
यात्रा और वाहन भत्ता भी बढ़ा
रेलवे और हवाई जहाज से यात्रा के लिए मिलने वाले कूपन की सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.5 लाख कर दी गई है। इसके अलावा, विधायकों और मंत्रियों को निजी वाहन में पेट्रोल-डीजल के लिए प्रतिवर्ष ₹50,000 का भत्ता भी दिया जाएगा।
2016 के बाद पहली बढ़ोतरी
गौरतलब है कि 2016 के बाद पहली बार विधायकों और मंत्रियों के वेतन में बढ़ोतरी की गई है। सरकार का कहना है कि यह निर्णय महंगाई और बढ़ते खर्च को देखते हुए लिया गया है।
सरकार के वित्तमंत्री ने कहा कि मार्च 2025 में एक समिति की घोषणा की थी। मेरी अगुवाई में समिति में हुई थी। जिसमें माता प्रसाद पांडेय, आशीष पटेल, राजपाल बालियान, संजय निषाद, ओम प्रकाश राजभर, अराधना मिश्रा मोना और रघुराज सिंह उर्फ राजा भैया उसके सदस्य थे। कई मीटिंगों के बाद जो निष्कर्षनिकाला। वह निष्कर्ष ये हैं इस महंगाई के युग में विधायकों के भत्ता में इजाफा किया जाए। विधायकों का वेतन 25 हजार से बढ़ाकर 35 हजार कर दिया जाए। मंत्रियों का वेतन 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया जाए।
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता था उसे 50 हजार से 75 हजार कर दिया जाए। दैनिक भत्ता जो 2000 था उसे 2500 कर दिया जाए। जनसेवा कार्यों हेतु दैनिक भत्ता 1500 से बढ़ाकर 2000 कर दिया जाए। चिकित्सीय भत्ता 30 हजार से बढ़ाकर 45 हजार कर दिया जाए। टेलीफोन भत्ता अब तक 6 हजार था उसे बढ़ाकर 9 हजार कर दिया जाए। इसके साथ पेंशन प्रतिमाह 25 हजार की जगह 35 हजार कर दिया जाए।

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