
उत्तर प्रदेश में आगामी शिक्षक एवं स्नातक विधान परिषद (एमएलसी) निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) ने गुरुवार को अपने पांच प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। पार्टी ने अनुभवी नेताओं को मौका देते हुए पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव समेत दो शिक्षक और तीन स्नातक एमएलसी पद के प्रत्याशी शामिल हैं।
राज्य में स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की पांच और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की छह सीटों पर अगले साल के अंत तक चुनाव होने की संभावना है। इन चुनावों के लिए फिलहाल मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण का काम चल रहा है, लेकिन सपा ने चुनावी बिगुल फूंकते हुए अपने उम्मीदवारों को समय से पहले मैदान में उतार दिया है। गुरुवार को सपा के आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर प्रत्याशियों की यह सूची जारी की गई।
अनुभवी चेहरों पर भरोसा
सपा की इस सूची में सबसे प्रमुख नाम विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव का है। उन्हें वाराणसी-मीरजापुर खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया है। लाल बिहारी यादव लंबे समय से शिक्षकों की समस्याओं और उनके अधिकारों के लिए मुखर रहे हैं। उन्होंने 2020 में इसी क्षेत्र से शिक्षक एमएलसी पद पर जीत हासिल की थी और 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी ने उन्हें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी।
शिक्षक कोटे से दूसरे उम्मीदवार के रूप में गोरखपुर-फैजाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से कमलेश को प्रत्याशी बनाया गया है।
स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में भी अनुभवी खिलाड़ी
स्नातक एमएलसी चुनाव के लिए भी सपा ने मजबूत और अनुभवी चेहरों को प्राथमिकता दी है:
इलाहाबाद-झांसी खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र: यहां से डॉ. मान सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। डॉ. मान सिंह वर्तमान में भी विधान परिषद के सदस्य हैं और इस क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
वाराणसी-मीरजापुर खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र: इस सीट से आशुतोष सिन्हा को प्रत्याशी बनाया गया है। सिन्हा भी वर्तमान में एमएलसी हैं और पूर्वांचल के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

लखनऊ खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र: यहां से कांति सिंह को मौका दिया गया है। कांति सिंह के पति एसपी सिंह वर्तमान में प्रतापगढ़ से सपा के सांसद हैं। हालांकि, कांति सिंह को पिछली बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें दोबारा मौका देकर महिला और युवा मतदाताओं के बीच पैठ बनाने की रणनीति अपनाई है।
चुनावी तैयारी: सपा ने दी शुरुआती बढ़त
सपा द्वारा चुनाव की तारीखों से काफी पहले प्रत्याशियों की घोषणा करना यह दर्शाता है कि पार्टी इन महत्वपूर्ण विधान परिषद सीटों को हल्के में नहीं ले रही है। विधान परिषद चुनाव में जीत दर्ज करना पार्टी के सदन में संख्या बल और राज्य की राजनीति पर उसके प्रभाव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन प्रत्याशियों को समय पर नामित करने से उन्हें अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता पुनरीक्षण के काम पर ध्यान केंद्रित करने और मतदाताओं (स्नातकों और शिक्षकों) से संपर्क साधने के लिए पर्याप्त समय मिल गया है।
सपा की यह चाल भाजपा और अन्य विरोधी दलों पर भी जल्द से जल्द अपने उम्मीदवारों को घोषित करने का दबाव बनाएगी, जिससे एमएलसी चुनाव की सरगर्मी समय से पहले ही तेज़ हो गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा का अनुभव पर दांव लगाना अगले साल के अंत में होने वाले चुनाव में कितना सफल साबित होता है।

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