
समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने विधायक पूजा पाल को पार्टी से निकालकर 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति साफ कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव अब किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते और पार्टी में केवल उन्हीं नेताओं को रखना चाहते हैं जो पूरी तरह से उनके प्रति समर्पित हों। पूजा पाल को पार्टी से निकालना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव के अनुसार, पूजा पाल ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस-वोटिंग करके पहले ही पार्टी अनुशासन का उल्लंघन किया था, लेकिन तब अखिलेश ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। शायद इसका कारण उनका ‘पिछड़ा वर्ग’ से होना था। हालांकि, विधानसभा सत्र के दौरान जब उन्होंने सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की, तो उन्होंने ‘लक्ष्मण रेखा पार’ कर दी।
पूजा पाल ने सदन में कहा था कि उनके पति राजू पाल की हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें न्याय दिलाया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने अतीक अहमद जैसे अपराधियों को ‘मिट्टी में मिलाने’ का काम किया है। इस बयान के बाद, सपा प्रमुख ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।
राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि अखिलेश अब पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के फॉर्मूले को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। अब तक सपा ने जिन विधायकों पर कार्रवाई की थी, वे सभी ‘अपर कास्ट’ से थे। पूजा पाल को बाहर का रास्ता दिखाकर अखिलेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब किसी भी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

सपा के प्रदेश प्रवक्ता अशोक यादव ने पूजा पाल पर लगे आरोपों को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि पूजा पाल लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थीं। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो पूजा पाल को न्याय मिला, वहीं दूसरी तरफ उनकी ही विधायक बिजमा यादव आज भी न्याय के लिए भटक रही हैं। अशोक यादव ने कहा कि पूजा पाल को मिला न्याय ‘नैसर्गिक’ नहीं था, क्योंकि योगी सरकार के कदम पीडीए के खिलाफ हैं।
दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने सपा पर ‘भेदभावपूर्ण’ कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एक पिछड़ी महिला ने अपने पति के हत्यारे को न्याय दिलाने के लिए सरकार की तारीफ की, तो उसे बाहर कर दिया गया। जबकि, अखिलेश यादव ‘माफिया’ के सम्मान में खड़े हो जाते हैं। आनंद दुबे ने कहा कि अखिलेश ‘पीडीए’ का नारा देने वालों को बाहर कर रहे हैं और ‘माफियाओं’ से हमदर्दी दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सिर्फ पिछड़ों को धोखा दे रहे हैं।
कुल मिलाकर, पूजा पाल को पार्टी से निकालना सपा के लिए 2027 के चुनाव की तैयारी का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम दिखाता है कि अखिलेश यादव पार्टी में ‘अवसरवादियों’ की जगह ‘समर्पित’ कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देना चाहते हैं। अब देखना यह है कि सपा क्रॉस-वोटिंग करने वाले अन्य विधायकों, जैसे बुंदेलखंड के विधायक विनोद चतुर्वेदी, पर क्या कार्रवाई करती है।

राजनीति में विरोधी खेमे को खोदने और चिढ़ाने वाली खबरों को अलग महत्व होता है। इसके लिए नारद बाबा अपना कालम लिखेंगे, जिसमें दी जाने वाली जानकारी आपको हंसने हंसाने के साथ साथ थोड़ा सा अलग तरह से सोचने के लिए मजबूर करेगी। 2 दशक से पत्रकारिता में हाथ आजमाने के बाद अब नए तेवर और कलेवर में आ रहे हैं हम भी…..



