
केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री और गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को अपने दिल्ली आवास पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात की। यह बैठक हालिया प्राकृतिक आपदाओं, प्रदेश के विकास और जनहित से जुड़े अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से हुई।
बैठक में सिंधिया ने मुख्यमंत्री को अपने संसदीय क्षेत्र गुना, शिवपुरी और अशोकनगर में हाल ही में हुई अतिवृष्टि और बाढ़ से उत्पन्न हालात की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे बाढ़ ने किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, ग्रामीण सड़कों और पुलों को क्षति पहुंची तथा कई गांवों में जल निकासी की व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई। सिंधिया ने प्रभावित परिवारों की पीड़ा और जरूरतों को भी मुख्यमंत्री के समक्ष रखा।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाई जाए, किसानों को उचित मुआवज़ा और फसल बीमा का लाभ शीघ्र उपलब्ध कराया जाए। साथ ही, क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की मरम्मत और जल निकासी व्यवस्था के सुधार को प्राथमिकता दी जाए। सिंधिया ने यह भी सुझाव दिया कि दीर्घकालिक समाधान के लिए जल प्रबंधन और आपदा तैयारी पर ठोस रणनीति बनाई जाए, ताकि भविष्य में ऐसे संकटों से निपटने में आसानी हो।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सिंधिया की बातों को गंभीरता से लेते हुए आश्वासन दिया कि राज्य सरकार प्रभावित जिलों में हर संभव मदद करेगी। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि सिंधिया द्वारा बताए गए जमीनी मुद्दों पर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए और पुनर्वास कार्यों में किसी भी प्रकार की देरी न हो।
गौरतलब है कि यह दोनों नेताओं की एक सप्ताह के भीतर दूसरी बैठक है। इससे पहले, 4 अगस्त को मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने गुना संसदीय क्षेत्र के शिवपुरी और गुना जिलों में बाढ़ प्रभावित इलाकों का संयुक्त दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने स्थानीय निवासियों से सीधा संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं और तत्काल राहत का आश्वासन दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की लगातार बैठकों से न केवल राहत और पुनर्वास कार्यों में गति आएगी, बल्कि प्रदेश के विकास एजेंडे में केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर तालमेल भी स्थापित होगा। सिंधिया और मोहन यादव की यह सक्रियता यह संकेत देती है कि आने वाले दिनों में आपदा प्रबंधन के साथ-साथ बुनियादी ढांचे और किसानों के हितों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

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