
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सुरवरम सुधाकर रेड्डी का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे और लंबे समय से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। उनके निधन पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
तेलंगाना के सीएम ने दी श्रद्धांजलि
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सुधाकर रेड्डी के निधन पर दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। रेवंत रेड्डी ने याद करते हुए कहा कि नलगोंडा जिले के रहने वाले सुधाकर रेड्डी ने वामपंथी आंदोलनों और कई जनसंघर्षों में सक्रिय रूप से भाग लिया और राष्ट्रीय स्तर के एक बड़े नेता के रूप में उभरे। उन्होंने कहा, “देश ने एक असाधारण नेता खो दिया है जिसने भारतीय राजनीति पर अपनी अनूठी छाप छोड़ी।”
एक दूरदर्शी नेता का सफर
सुरवरम सुधाकर रेड्डी का राजनीतिक सफर बेहद प्रेरणादायक रहा। उनका जन्म 25 मार्च, 1942 को तेलंगाना के महबूबनगर जिले के कांचुपाडु गांव में एक स्वतंत्रता सेनानी के घर हुआ था। उन्होंने अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसएफ) से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने कुरनूल के उस्मानिया कॉलेज से स्नातक और उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान ही उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में गहरी रुचि ली।
वे 1998 और 2004 में नलगोंडा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार लोकसभा के लिए चुने गए, जहां उन्होंने जनता के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया। 2012 से 2019 तक उन्होंने भाकपा के महासचिव के रूप में भी कार्य किया।

राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर शोक
सुधाकर रेड्डी के निधन पर, राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया। तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्का ने भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और एक सुदूर गांव से भाकपा के राष्ट्रीय नेतृत्व तक के उनके सफर को याद किया।
पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता के. चंद्रशेखर राव ने भी सुधाकर रेड्डी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने सुधाकर रेड्डी को ‘तेलंगाना की धरती का सपूत’ बताया, जिन्होंने अपना जीवन उत्पीड़ित समुदायों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। राव ने तेलंगाना आंदोलन के दौरान इस दिग्गज नेता के साथ अपने जुड़ाव को भी याद किया।
सुधाकर रेड्डी का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है, खासकर वामपंथी आंदोलन के लिए। उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया। उनकी विरासत राजनीतिक ईमानदारी, निस्वार्थ सेवा और समाज के कमजोर वर्गों के प्रति प्रतिबद्धता की एक मिसाल बनी रहेगी। उनके परिवार में उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी और दो बेटे हैं।

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