
लद्दाख में जारी आंदोलन और हालिया हिंसा को लेकर पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप लगे हैं। लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसडी सिंह जम्वाल ने शनिवार को वांगचुक को लेह हिंसा के लिए पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए उनके पाकिस्तान से संबंध होने का दावा किया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने एक पाकिस्तानी जासूस को गिरफ्तार किया है, जो वांगचुक के संपर्क में था और उनके विरोध प्रदर्शनों के वीडियो सीमा पार भेज रहा था।
विदेशी संपर्क और एजेंडा की जांच
डीजीपी ने बताया कि वांगचुक की पाकिस्तान और बांग्लादेश यात्राओं की भी जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि वांगचुक पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया संस्थान ‘द डॉन’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। पुलिस के अनुसार, उनके खिलाफ जांच में कई तथ्य सामने आए हैं, जिन्हें फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। डीजीपी ने दावा किया कि वांगचुक ने लद्दाख में जारी आंदोलन को एक खास एजेंडे के तहत हाईजैक करने की कोशिश की और केंद्र सरकार तथा लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच चल रही वार्ता प्रक्रिया को विफल करने का प्रयास किया।

रासुका के तहत गिरफ्तारी और जोधपुर जेल भेजा गया
शुक्रवार को वांगचुक को लेह में हिंसा भड़काने और विदेशी फंडिंग के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार किया गया और उन्हें जोधपुर जेल भेज दिया गया। वांगचुक लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और उसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे थे। इसी हड़ताल के दौरान बुधवार को लेह में हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग घायल हुए।
गिरफ्तारी से पहले दी थी चेतावनी
गिरफ्तारी से पहले वांगचुक ने आशंका जताई थी कि उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि “अगर मेरी गिरफ्तारी होती है, तो वह एक आजाद सोनम वांगचुक से कहीं ज्यादा खतरनाक होगी।” इस बयान को लेकर भी प्रशासन सतर्क था।
सोशल मीडिया पर संदिग्ध गतिविधियों के संकेत
डीजीपी जम्वाल ने कहा कि इंटरनेट मीडिया पर वांगचुक के प्रोफाइल और यूट्यूब वीडियो उनके एजेंडे को स्पष्ट करते हैं। उन्होंने अरब स्प्रिंग, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हालिया अशांति का जिस तरह से उल्लेख किया है, वह उनके कथित एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है। पुलिस का आरोप है कि वांगचुक लद्दाख के आंदोलन को भटकाने की कोशिश कर रहे थे।
24 सितंबर की हिंसा का विवरण
डीजीपी ने बुधवार, 24 सितंबर को हुई हिंसा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अनशन स्थल पर अचानक भीड़ बढ़ गई, जिसमें कई असामाजिक तत्व भी शामिल थे। लगभग पांच से छह हजार प्रदर्शनकारियों ने शहर में प्रदर्शन शुरू किया और हिंसा पर उतर आए। एक इमारत को आग लगा दी गई, जिसमें तीन महिला पुलिस अधिकारी फंसी हुई थीं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी।

इस हिंसा में 70 प्रदर्शनकारी, 17 सीआरपीएफ जवान और 15 पुलिसकर्मी घायल हुए। लाठीचार्ज, पथराव और आगजनी ने शहर को दहला दिया और प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
जांच जारी, राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल
वांगचुक की गिरफ्तारी और उन पर लगे आरोपों ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर उनके समर्थक इसे आंदोलन को दबाने की कोशिश बता रहे हैं, वहीं प्रशासन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला मान रहा है। डीजीपी ने स्पष्ट किया कि जांच के बाद ही सभी तथ्य सामने लाए जाएंगे।
यह मामला अब केवल एक आंदोलन या प्रदर्शन का नहीं रह गया है, बल्कि इसमें अंतरराष्ट्रीय संपर्क, विदेशी फंडिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर पहलू जुड़ गए हैं। आने वाले दिनों में इस प्रकरण की जांच और कानूनी प्रक्रिया पर पूरे देश की नजरें टिकी रहेंगी।

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