
ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय में एक छात्रा की आत्महत्या के मामले में आंतरिक जांच समिति सोमवार को अपनी रिपोर्ट पुलिस को सौंप सकती है। समिति ने छात्रा के परिजनों, दोस्तों, सहपाठियों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और जेल में बंद आरोपी प्रोफेसर से पूछताछ के बाद अपनी जांच पूरी कर ली है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी।
रिपोर्ट में हो सकती है नई सिफारिशें
सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि आत्महत्या की प्रमुख वजहें क्या थीं और किन लोगों की भूमिका इस घटना में संदिग्ध पाई गई। ऐसा माना जा रहा है कि रिपोर्ट में कुछ अन्य कर्मचारियों और प्रोफेसरों की लापरवाही की भी बात सामने आई है, जिन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है।
विश्वविद्यालय प्रशासन भी इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ अन्य कर्मचारियों को निलंबित करने की तैयारी कर रहा है। यदि रिपोर्ट में संस्थान की ओर से किसी प्रकार की गंभीर लापरवाही की पुष्टि होती है, तो यह मामला और भी गंभीर रूप ले सकता है।

जांच में शामिल रहे सभी संबंधित पक्ष
जांच समिति ने मृतक छात्रा के परिवारजनों से विस्तार से बातचीत की, साथ ही उसके दोस्तों और क्लासमेट्स के बयान भी दर्ज किए गए। इसके अलावा विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों और जेल में बंद आरोपियों से पूछताछ कर उनके बयान भी रिकॉर्ड किए गए हैं। समिति ने जांच के दौरान प्राप्त सभी बयानों और तथ्यों को रिपोर्ट में शामिल किया है, जिससे पूरी घटना का विस्तृत और निष्पक्ष मूल्यांकन हो सके।
पुलिस जुटा रही डिजिटल सबूत
पुलिस पहले ही छात्रा का मोबाइल फोन, लैपटॉप, किताबें और आत्महत्या से पहले लिखा गया सुसाइड नोट अपने कब्जे में ले चुकी है। ये सभी वस्तुएं सील करके सुरक्षित रखी गई हैं। अब पुलिस इन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने की तैयारी कर रही है, जिसके लिए कोर्ट से अनुमति मांगी जाएगी।
फॉरेंसिक जांच के दौरान सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग का मिलान किया जाएगा ताकि यह पुष्टि की जा सके कि वह वास्तव में छात्रा की ही लिखावट है या किसी और ने लिखा है। इसके अलावा, मोबाइल और लैपटॉप की जांच से यह भी पता लगाने की कोशिश होगी कि छात्रा आत्महत्या से पहले किन लोगों के संपर्क में थी और उसकी मानसिक स्थिति कैसी थी।

विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका पहले से ही सवालों के घेरे में है। अगर आंतरिक जांच रिपोर्ट में यह साबित होता है कि प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही बरती गई थी, तो प्रकरण और अधिक गंभीर हो जाएगा। छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी मांग है कि इस मामले में निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
अब सभी की निगाहें आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं। रिपोर्ट के आधार पर यह तय होगा कि आत्महत्या के पीछे कौन जिम्मेदार था और किनके खिलाफ कार्रवाई होगी। यदि रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि होती है, तो यह मामला केवल एक विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि पूरे उच्च शिक्षा तंत्र की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल बन सकता है।

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