
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए ‘स्वदेशी’ के आह्वान को अब केंद्र सरकार के मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता भी जोर-शोर से आगे बढ़ा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए ‘स्वदेशी अपनाओ’ अभियान को भारत के भविष्य के लिए अनिवार्य बताया। उन्होंने स्वदेशी को न केवल एक वस्तु, बल्कि आत्मनिर्भरता का मंत्र, किसानों की मेहनत का सम्मान और भारत की असली शक्ति बताया।
स्वदेशी: आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक
शिवराज सिंह चौहान ने अपने पोस्ट में लिखा, “स्वदेशी ही भारत की असली शक्ति है। अगर हमें आगे बढ़ना है, तो हमें स्वदेशी को अपनाना होगा।” उन्होंने ‘स्वदेशी’ को एक व्यापक अवधारणा के रूप में परिभाषित किया। उनके अनुसार, यह सिर्फ कपड़ों या वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता का मंत्र है। उन्होंने कहा कि यह हमारे किसानों की मेहनत का सम्मान है, हमारे कारीगरों के हुनर की पहचान है और हमारे उद्योग व युवाओं की ताकत है।
उन्होंने भावनात्मक रूप से स्वदेशी को ‘अपनी माटी की खुशबू’ बताया और कहा कि यह उन वस्तुओं को अपनाना है, “जिसे बनाने में हमारे देशवासियों का पसीना बहा है।” इस तरह के बयान सीधे तौर पर जनता से जुड़ते हैं और राष्ट्रीय भावना को जगाते हैं। उनका यह संदेश भाजपा की उस राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह देश के आर्थिक विकास को राष्ट्रवाद से जोड़ती है।
दैनिक जीवन में स्वदेशी को अपनाने की अपील
इससे पहले, भोपाल में आईआईएसईआर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भी शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री मोदी की अपील को दोहराया था। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा है कि हम अपने दैनिक जीवन में स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करें।” उन्होंने छात्रों और आम जनता से अनुरोध करते हुए कहा, “आप सबसे अपील है कि अपने दैनिक जीवन में काम आने वाली चीजों में स्वदेश में बने उत्पादों का ही उपयोग करें।”
उन्होंने इसके पीछे का आर्थिक तर्क भी दिया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने से देश के लोगों को रोजगार मिलेगा और हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत बनेगी। यह बयान दर्शाता है कि सरकार केवल बड़े-बड़े आर्थिक सुधारों पर ही नहीं, बल्कि आम जनता के व्यवहार में बदलाव लाकर भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषण: ‘स्वदेशी’ अभियान का बढ़ता जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ‘स्वदेशी’ को अपनाने का आह्वान किया था। उसके बाद से ही यह मुहिम जोर पकड़ रही है। शिवराज सिंह चौहान जैसे वरिष्ठ नेताओं का इस अभियान में शामिल होना यह दिखाता है कि सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी इसे एक गंभीर राजनीतिक और आर्थिक एजेंडा बना रही है।
यह अभियान कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- आर्थिक आत्मनिर्भरता: ‘स्वदेशी’ का नारा भारत को आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य के अनुरूप है।
- राष्ट्रीय गौरव: यह अभियान लोगों में अपने देश के उत्पादों पर गर्व करने की भावना जगाता है, जिससे राष्ट्रीय पहचान मजबूत होती है।
- रोजगार सृजन: घरेलू उद्योगों और कारीगरों को बढ़ावा देकर यह अभियान रोजगार के अवसर पैदा करता है।
- राजनीतिक संदेश: ‘स्वदेशी’ का नारा विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले आर्थिक मुद्दों का एक जवाब है। भाजपा इसे एक ऐसे कदम के रूप में पेश कर रही है जो हर भारतीय को देश के विकास में सीधे तौर पर भागीदार बनाता है।
- इस तरह, शिवराज सिंह चौहान का बयान केवल एक अपील नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक और आर्थिक संदेश है जो भारत के भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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