
महाराष्ट्र के गौरव, छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े 12 ऐतिहासिक किलों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिए जाने पर शिवसेना (यूबीटी) ने खुशी जाहिर की है। पार्टी ने इसे मराठी जनता के लिए सम्मान की बात बताया है और कहा कि इससे महाराष्ट्र का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव दुनिया में और ऊंचा होगा। लेकिन इसका श्रेय भाजपा के द्वारा लिए जाने पर तंज कसते हुए कहा गया कि केवल आयोजनों से ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा संभव नहीं है।
भाजपा के जश्न पर शिवसेना का निशाना
इस खुशी के मौके पर भी शिवसेना (यूबीटी) ने भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोला है। पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया कि भाजपा केवल जश्न मनाना जानती है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या वह शिवाजी महाराज की अमूल्य विरासत की रक्षा कर पाएगी? संपादकीय में तंज कसते हुए कहा गया कि केवल आयोजनों से ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा संभव नहीं है।
शिवाजी के किलों का ऐतिहासिक महत्व
संपादकीय में छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों के महत्व को विस्तार से बताया गया। इसमें रायगढ़ किले का विशेष उल्लेख किया गया, जहां शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ और जो उनकी राजधानी बना। सामना ने लिखा कि शिवाजी ने इन किलों को महलों के लिए नहीं बल्कि स्वराज्य की रक्षा के लिए बनवाया था। ये किले महाराष्ट्र की अस्मिता और इतिहास के प्रतीक हैं, जिनकी रक्षा करना हर मराठी व्यक्ति का कर्तव्य है।
भाजपा शिवाजी की विरासत बचा पाएगी
संपादकीय में भाजपा सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया गया। शिवाजी महाराज के काल की तुलना करते हुए कहा गया कि उन्होंने मराठी राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया था, जबकि भाजपा के शासन में महाराष्ट्र पर 9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है। सामना ने दावा किया कि शिवाजी के समय में दुश्मन अफजल खान जैसे युद्धभूमि में ही समाप्त कर दिए जाते थे, जबकि आज पठानकोट और पुलवामा जैसे हमले हो रहे हैं।

भवानी तलवार को लेकर भी साधा निशाना
शिवसेना (यूबीटी) ने भाजपा पर शिवाजी महाराज की भवानी तलवार के मुद्दे पर भी सवाल उठाए। संपादकीय में दावा किया गया कि ब्रिटेन से लाई गई तलवार असली भवानी तलवार नहीं है और भाजपा ने इसका राजनीतिक इस्तेमाल किया। अब भाजपा नागपुर के राजा मुधोजी की तलवार लाने की तैयारी में है, जिसे सामना ने इतिहास पर कब्जा करने की हास्यास्पद कोशिश बताया।
संरक्षण की जिम्मेदारी निभाए सरकार
शिवसेना (यूबीटी) ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इन 12 किलों का संरक्षण सही तरीके से नहीं किया गया तो यूनेस्को कभी भी विश्व धरोहर का दर्जा वापस ले सकता है। पार्टी ने उदाहरण देते हुए बताया कि पश्चिमी घाट को भी 2012 में विश्व धरोहर घोषित किया गया था, लेकिन अलमट्टी बांध की ऊंचाई बढ़ाने और शक्तिपीठ हाइवे जैसी परियोजनाओं ने वहां जैव विविधता को नुकसान पहुंचाया।
मराठी अस्मिता को बचाना जरूरी
अंत में सामना ने मराठी भाषा और अस्मिता की रक्षा पर जोर दिया। संपादकीय में कहा गया कि हाल ही में केंद्र ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया, लेकिन मराठी अस्मिता के लिए अब भी आंदोलन जारी हैं। पार्टी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को संरक्षित रखना हर मराठी का कर्तव्य है और भाजपा को केवल उत्सवों में न उलझकर अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

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