
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हाल ही में हुए उपद्रव और धार्मिक उन्माद के बाद वाराणसी में प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। ‘आई लव मोहम्मद’ के नाम पर निकाले जा रहे जुलूसों को लेकर पुलिस ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इनमें बच्चे शामिल पाए गए, तो उनके अभिभावकों को दंगाई माना जाएगा और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल का सख्त संदेश
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने शनिवार को वाराणसी में सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि विशेष वर्ग को स्पष्ट संदेश दे दिया गया है—बिना अनुमति कोई जुलूस नहीं निकलेगा और न ही उसमें भागीदारी की जाएगी। यदि किसी ने ऐसा किया, तो उसे दंगा फैलाने की नियति समझी जाएगी। उन्होंने कहा, “फोर्स हाई अलर्ट पर है, और अशांति फैलाने की एक चूक किसी को भी भारी पड़ सकती है।”
अग्रवाल ने यह भी कहा कि हाल के जुलूसों में किशोरों की भागीदारी बढ़ी है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ अभिभावक जानबूझकर बच्चों को आगे कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वाराणसी में ऐसी कोशिशें सफल नहीं होंगी और पुलिस ऐसे अभिभावकों के खिलाफ रासुका के तहत कठोर कार्रवाई करेगी।

बरेली हिंसा के बाद वाराणसी में सख्ती
बरेली में शुक्रवार को हुए उपद्रव और पुलिस की लाठीचार्ज कार्रवाई के बाद वाराणसी में सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा किया गया है। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि दशाश्वमेध, लोहता और सिगरा थाना क्षेत्रों में जुलूस निकालने की हिमाकत करने वालों के खिलाफ केस दर्ज किए जा रहे हैं और अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि यदि किसी ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, तो उसकी भरपाई उसकी निजी संपत्ति से की जाएगी। यह संदेश स्पष्ट है कि कानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों को अब आर्थिक दंड भी भुगतना पड़ेगा।
फोर्स की तैनाती और सख्ती के निर्देश
डीसीपी को निर्देश दिए गए हैं कि वे आरएएफ, पीएसी और स्थानीय पुलिस के साथ लगातार क्षेत्र में भ्रमण करें और लोगों को सख्ती का संदेश दें। चार कंपनी पीएसी और चार कंपनी आरएएफ को डीसीपी के अधीन तैनात किया गया है। यह तैनाती संवेदनशील इलाकों में की गई है, जहां धार्मिक जुलूसों के कारण तनाव की आशंका बनी रहती है।

कानपुर से शुरू हुई थी ‘आई लव मोहम्मद’ की चिंगारी
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत चार सितंबर को कानपुर से हुई थी, जब बारावफात के दिन ‘आई लव मोहम्मद’ के साइन बोर्ड लगाए गए थे। हिंदू संगठनों के विरोध के बाद पुलिस ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए बोर्ड हटवाए और आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद उन्नाव, बरेली और अब वाराणसी में भी इसी मुद्दे को लेकर माहौल बिगड़ने की आशंका बनी हुई है।
पुराने आरोपितों की फिर से पहचान
वाराणसी पुलिस अब उन लोगों की पहचान कर रही है, जो पहले दंगे और उपद्रव में शामिल रहे हैं। तीनों जोन में पिछले एक दशक में हुई घटनाओं और उनसे संबंधित दर्ज मुकदमों को खंगाला जा रहा है। पुलिस का उद्देश्य है कि पुराने उपद्रवियों को फिर से चिह्नित कर उनके खिलाफ समय रहते कार्रवाई की जाए।
अपर पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) शिवहरि मीणा ने तीनों जोन के डीसीपी—गौरव बंसवाल, प्रमोद कुमार और आकाश पटेल को निर्देश दिए हैं कि वे सतर्क दृष्टि बनाए रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई करें।

कानून व्यवस्था के लिए जीरो टॉलरेंस नीति
उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक भावनाओं की आड़ में अराजकता फैलाने की कोई गुंजाइश नहीं है। बच्चों को जुलूसों में शामिल कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश को गंभीर अपराध माना जाएगा और अभिभावकों को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
‘आई लव मोहम्मद’ जैसे भावनात्मक नारों के पीछे छिपे राजनीतिक और सामाजिक उद्देश्यों को लेकर प्रशासन सतर्क है। वाराणसी में हाई अलर्ट और सख्त कार्रवाई की चेतावनी इस बात का संकेत है कि अब कानून व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
यह नया उत्तर प्रदेश है, जहां दंगाइयों को न केवल कानूनी सजा दी जाएगी, बल्कि उनकी संपत्ति से नुकसान की भरपाई भी की जाएगी। प्रशासन की यह नीति राज्य में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

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