
उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबली के तौर पर पहचाने जाने वाले फूलपुर-पवई विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक रमाकांत यादव की कानूनी चुनौतियां बढ़ गई हैं। आजमगढ़ की एक अदालत ने उन्हें सरकारी काम में बाधा डालने और चक्का जाम करने के एक नौ साल पुराने मामले में एक साल की जेल और जुर्माना लगाया है। आजमगढ़ के स्पेशल मैजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) की कोर्ट ने यह सजा सुनाई है। रमाकांत यादव को अब तक तीन मामलों में सजा हो चुकी है।

2016 के हंगामे का मामला
जिस मामले में रमाकांत यादव को हाल ही में एक साल कैद और ₹2700 अर्थदंड की सजा सुनाई गई, वह साल 2016 से जुड़ा है।
दरअसल, 3 फरवरी 2016 को आजमगढ़ की फूलपुर कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह ब्लॉक प्रमुख चुनाव के मद्देनजर वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। चेकिंग के दौरान, अंबारी चौक पर जयप्रकाश यादव उर्फ मंशा यादव के वाहन से लगभग दो लाख रुपये नकद बरामद किए गए। जयप्रकाश के पकड़े जाने की सूचना मिलते ही रमाकांत यादव अपने दो से ढाई सौ समर्थकों के साथ अंबारी चौकी पर पहुंचे और जयप्रकाश को छुड़ाने के लिए पुलिस पर दबाव बनाने लगे।
समर्थकों के साथ मिलकर विधायक रमाकांत यादव ने चक्का जाम कर दिया। इस हंगामे के कारण अंबारी चौक पर अफरा-तफरी मच गई और लोक शांति भंग हुई। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद सपा विधायक रमाकांत यादव, चंद्रभान, मन्ना उर्फ शेष नारायन, रंगेश यादव और रजनीश के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी।
दो अन्य मामलों में भी हो चुकी है सजा
रमाकांत यादव की कानूनी मुश्किलों का सिलसिला नया नहीं है। उन्हें अब तक कुल तीन मामलों में सजा हो चुकी है–
- दीदारगंज चक्काजाम (2006): एमपी एमएलए स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज अनुपम कुमार त्रिपाठी ने 15 सितंबर, 2025 को उन्हें दीदारगंज थाने के सामने चक्का जाम कर सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में एक साल की सश्रम कारावास (rigorous imprisonment) और ₹3800 अर्थदंड की सजा सुनाई थी। यह घटना 6 अप्रैल 2006 को हुई थी, जब रमाकांत यादव अपने समर्थक को छुड़ाने के लिए दीदारगंज थाने के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
- पवई चक्काजाम (2016): पवई क्षेत्र में 5 अप्रैल 2016 को चक्काजाम के आरोप में अदालत ने उन्हें और तीन अन्य आरोपियों को तीन-तीन महीने की कारावास और ₹13-13 सौ रुपये का जुर्माना लगाया था।

राजनीतिक और कानूनी पृष्ठभूमि
रमाकांत यादव का राजनीतिक करियर 1985 में शुरू हुआ था, जब उन्होंने पहली बार फूलपुर-पवई सीट से विधायक का चुनाव जीता। वह लगातार तीन बार विधायक रहे, और चार बार आजमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद भी बने। वर्तमान में वह जेल में बंद हैं।
उनके कानूनी मामले बहुत व्यापक हैं। वह दो मुकदमों में दोषमुक्त (बरी) हो चुके हैं, लेकिन उनके खिलाफ अभी भी नौ मामले लंबित हैं।
- वर्ष 2025 में उन पर गैंगस्टर का भी मुकदमा दर्ज किया गया।
- वर्ष 2022 में जहरीली शराब पीने से हुई कई लोगों की मौत के मामले में भी वह आरोपी हैं। इस मामले में प्रशासन ने उनकी 23 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की थी।
- 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान अंबारी चौक पर ताबड़तोड़ फायरिंग का आरोप भी उन पर है।
- कोरोना काल के दौरान 2020 में महामारी अधिनियम (Epidemic Act) के तहत उन पर तीन मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनकी चार्जशीट भेजी जा चुकी है। सामान्य लोगों पर ये मुकदमे वापस ले लिए गए थे, लेकिन एमपी-एमएलए समेत विशेष लोगों पर ये केस वापस नहीं लिए गए हैं।
सपा विधायक रमाकांत यादव का यह रिकॉर्ड, जिसमें एक साल में पांच केसों का निस्तारण हुआ है, दर्शाता है कि देश में आपराधिक मामलों वाले जनप्रतिनिधियों पर कानूनी कार्यवाही तेज़ हो रही है।

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