
लोकसभा का बहुप्रतीक्षित मानसून सत्र आज यानी सोमवार से शुरू हो रहा है। यह सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल 21 बैठकें होंगी। स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों के चलते संसद 12 से 17 अगस्त तक स्थगित रहेगी, और फिर 18 अगस्त से सत्र फिर शुरू होगा।
लोकसभा अध्यक्ष की अपील: लोकतांत्रिक संवाद को दें प्राथमिकता
सत्र के आरंभ से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सभी दलों से अपील की है कि वे संसद की गरिमा बनाए रखते हुए स्वस्थ और रचनात्मक चर्चा में भाग लें। उन्होंने कहा, “18वीं लोकसभा का पांचवां सत्र प्रारंभ हो रहा है। जनाकांक्षाओं की अभिव्यक्ति और राष्ट्रीय हितों के संरक्षण हेतु प्रतिनिधियों की सामूहिक भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने सभी नेताओं और सदस्यों से सदन के सुचारू संचालन और समावेशी विकास, सामाजिक न्याय और आर्थिक प्रगति के मुद्दों पर गंभीर विमर्श की अपील की।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन और प्रमुख मुद्दे
सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद को संबोधित करेंगे। इस बार के सत्र में कई संवेदनशील और अहम मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है। इसमें सबसे प्रमुख है ऑपरेशन सिंदूर, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जुड़ा है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। विपक्ष ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से सीधा बयान देने की मांग की है।
विपक्ष की तैयारी और सरकार से जवाब की मांग
विपक्ष की ओर से कई अन्य मुद्दों को भी सत्र में उठाए जाने की संभावना है, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के दावे और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया शामिल हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस प्रक्रिया के माध्यम से आगामी राज्य चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है।
सरकार के एजेंडे में 8 अहम विधेयक
सरकार इस सत्र के दौरान 8 महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इन विधेयकों में जीएसटी सुधार, टैक्सेशन कानून, सार्वजनिक विश्वास नियमन, खेल प्रशासन, बंदरगाहों का सुधार, खनिज नीति और भू-विरासत स्थलों के संरक्षण से संबंधित कानून शामिल हैं।
लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखने का अवसर
लोकसभा अध्यक्ष ने अंत में यह उम्मीद जताई कि यह मानसून सत्र लोकतंत्र की गरिमा, संसद की प्रतिष्ठा और जनहित की प्राथमिकताओं के अनुरूप सार्थक रहेगा। उन्होंने कहा कि यह सभी सांसदों के लिए एक अवसर है कि वे लोकतांत्रिक चेतना, विविधता में एकता और संवैधानिक मूल्यों को मजबूती प्रदान करें।

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