बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है। जबकि पिछले छात्रसंघ का कार्यकाल समाप्त समाप्त हुए दो वर्ष बीत चुके हैं। लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार छात्रसंघ का कार्यकाल एक वर्ष का ही होता है। पिछले वर्ष चुनाव को लेकर अधिकारियों की बैठक हुई थी, लेकिन उसके बाद लॉकडाउन हो जाने के कारण यह ठंडे बस्ते में चला गया है।
छात्रसंघ का प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण छात्रहित के मुद्दों पर विवि फैसला नहीं ले रहा है। विभिन्न छात्र संगठनों में एकजुटता नहीं होने के कारण विवि में छात्रों के मुद्दे दबकर रह जा रहे हैं। अब छात्र नेताओं ने छात्र संघ चुनाव कराने को लेकर विश्वविद्यालय पर दबाव बढ़ाया है।
अभाविप के विवि संयोजक केशरी नंदन शर्मा का कहना है कि विवि को पहले शीघ्र अपना सत्र नियमित करना चाहिए। इसके बाद छात्रसंघ चुनाव का आयोजन होना चाहिए ताकि छात्रों से जुड़े मुद्दे अधिकारियों तक पहुंचे और छात्र हित में निर्णय लिए जा सकें। छात्र संघ चुनाव नहीं होने के कारण छात्रों की आवाज दब रही है।
विवि अध्यक्ष संकेत मिश्रा का कहना है कि छात्र संघ चुनाव में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों में संशोधन करने की जरूरत है। पीएचडी शोधार्थियों को भी इसमें प्रतिनिधित्व का मौका मिलना चाहिए। सत्र विलंब होने के कारण आयु सीमा में छूट दी जाए और 75 फीसद उपस्थिति के नियम को भी हटाया जाए। क्योंकि, कोरोना काल में विवि बंद था और छात्र विवि और कॉलेजों से दूर थे।
कुलपति प्रो.हनुमान प्रसाद पांडेय का कहना है कि अभी सभी पदाधिकारी सीनेट की बैठक में व्यस्त हैं। वहीं छात्र नेताओं की ओर से इसके लिए कोई पहल नहीं की गई है। सीनेट के बाद यदि छात्र नेताओं की ओर से इस दिशा में वार्ता होगी तो छात्र-संघ चुनाव पर निर्णय लिया जाएगा।