
राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति को फिर से जीवंत करने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। छात्र संघ चुनावों को बहाल कराने के लिए प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने इस बार अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने उन बड़े नेताओं के कटआउट लगाए जो कभी इसी विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक सफर पर निकले थे।
गहलोत, शेखावत समेत कई नेताओं के कटआउट धरना स्थल पर
प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, हनुमान बेनीवाल, सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौर, अशोक लाहोटी और हरीश चौधरी जैसे दिग्गज नेताओं के कटआउट विश्वविद्यालय परिसर में लगाए। इन नेताओं ने कभी न कभी छात्र संघ चुनावों के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन तैयार की थी।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेता शुभम रेवाड़ ने कहा, “राज्य सरकार बार-बार यह कह रही है कि छात्र संघ चुनावों का कोई महत्व नहीं रहा, लेकिन हम उन्हीं नेताओं की तस्वीरें लेकर खड़े हैं जिन्होंने छात्र राजनीति से अपनी पहचान बनाई।”
गहलोत ने किया चुनाव बहाली का समर्थन
छात्रों के इस अनोखे प्रदर्शन पर खुद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी प्रतिक्रिया दी। गहलोत ने कहा कि राजस्थान के युवाओं को लंबे समय से छात्र संघ चुनावों की बहाली का इंतजार है, लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार उनकी उम्मीदों को तोड़ रही है।

उन्होंने कहा, “मेरे कार्यकाल के दौरान विधानसभा चुनावों के कारण छात्र संघ चुनाव स्थगित हुए थे, लेकिन इसके बाद इन्हें फिर से शुरू करने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।” गहलोत ने भाजपा सरकार से तत्काल छात्र संघ चुनावों को बहाल करने की अपील की।
छात्र राजनीति का महत्व फिर से चर्चा में
राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव लंबे समय तक राज्य की राजनीति के प्रशिक्षण केंद्र माने जाते रहे हैं। कई बड़े नेता इन्हीं चुनावों से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सुरक्षा, अनुशासन और राजनीतिक तनाव के कारण कई बार चुनाव स्थगित किए जाते रहे हैं।
छात्रों का कहना है कि चुनावों से नेतृत्व क्षमता विकसित होती है और यह लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करता है। शुभम रेवाड़ समेत छात्र नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और व्यापक रूप लेगा।
सरकार पर दबाव बढ़ने के संकेत
केंद्र में और राज्य में भाजपा के बीच छात्र राजनीति को लेकर उठ रहे सवालों ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि इस प्रतीकात्मक कटआउट प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार छात्र संघ चुनावों को लेकर क्या रुख अपनाती है। फिलहाल, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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