
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी के नवनियुक्त राष्ट्रीय महासचिव डॉ. शशि भूषण प्रसाद ने दावा किया है कि उनकी पार्टी राज्य की राजनीति में एक नया आयाम स्थापित करेगी। डॉ. प्रसाद ने मंगलवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात कही।
शोषित और वंचितों को मुख्यधारा में लाने का लक्ष्य
महासचिव बनने के बाद पहली बार पटना पहुंचे डॉ. शशि भूषण प्रसाद ने कहा कि सुभासपा का मुख्य लक्ष्य बिहार के शोषितों, वंचितों, पीड़ितों और अल्पसंख्यकों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की यही सोच शुरू से रही है।
डॉ. प्रसाद ने आरोप लगाया कि अन्य राजनीतिक दलों ने इन वर्गों को केवल ठगने का काम किया है। उन्होंने कहा, “बिहार में हमारी पार्टी 20 वर्षों से काम कर रही है और हमारा जनाधार राज्य में बहुत मजबूत है। जितने भी शोषित, वंचित और निचले पायदान के लोग हैं, उन्हें अन्य पार्टियों ने केवल वादे किए और चुनाव जीतने के बाद उन्हें भुला दिया।” सुभासपा की कोशिश है कि वह सरकारी योजनाओं से वंचित लोगों को जोड़कर उन्हें उनका हक दिलाए।
NDA के बैनर तले चुनाव लड़ने की उम्मीद
डॉ. शशि भूषण प्रसाद ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में एनडीए की सहयोगी है और बिहार में भी वह उसी बैनर तले चुनाव लड़ना चाहती है। उन्होंने कहा, “बिहार में भी हमारी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान से लगातार संपर्क में है। हमें पूरी उम्मीद है कि बिहार में भी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी एनडीए के बैनर तले आकर चुनाव लड़ेगी।”
सीटों के बंटवारे के सवाल पर डॉ. प्रसाद ने कहा कि इस संबंध में भी सुभासपा और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि सीटों को लेकर जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा। यह बयान इस बात का संकेत है कि सुभासपा बिहार में भी अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए भाजपा के साथ मिलकर काम करना चाहती है।
बिहार में पार्टी की मजबूत पकड़ का दावा
डॉ. शशि भूषण प्रसाद ने दावा किया कि बिहार में उनकी पार्टी का जनाधार काफी मजबूत है। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों से पार्टी बिहार में सक्रिय है और उसने जमीनी स्तर पर काम किया है। उन्होंने जोर दिया कि उनकी पार्टी का उद्देश्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं है, बल्कि उन लोगों की आवाज बनना है, जिन्हें अब तक उपेक्षित किया गया है।
सुभासपा के इस कदम से बिहार की चुनावी राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है। यदि यह पार्टी एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है, तो यह गठबंधन को उन वर्गों के वोट दिलाने में मदद कर सकती है, जिन्हें सुभासपा अपना आधार मानती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच क्या समझौता होता है और सुभासपा बिहार में कितना प्रभाव डाल पाती है।

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