
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की जेल से रिहाई के बाद रामपुर में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। इसी क्रम में शनिवार को राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) के संस्थापक और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य आजम खान के आवास पर पहुंचे। उन्होंने मुलाकात के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर राजनीतिक प्रतिशोध लेने का आरोप लगाया।
स्वामी प्रसाद मौर्य का भाजपा पर तीखा हमला
पत्रकारों से बात करते हुए मौर्य ने कहा कि आजम खान के साथ अन्याय हुआ है और यह सब राजनीतिक दुर्भावना के तहत किया गया है। उन्होंने कहा कि जो कुछ आजम खान के साथ हुआ है, वह लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग है। भाजपा ने राजनीतिक द्वेष के चलते उन्हें परेशान किया, जो शर्मनाक है।
उन्होंने यह भी कहा कि आजम खान को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने हमेशा अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों की आवाज बुलंद की।

समाजवादी पार्टी पर भी साधा निशाना
स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस मौके पर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा आजम खान से की गई मुलाकात को उन्होंने ‘घड़ियाली आंसू’ करार दिया। सपा ने आजम खान को उनके कठिन समय में अकेला छोड़ दिया। आजम ने पार्टी के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन पार्टी ने उनके साथ न्याय नहीं किया। मौर्य ने दावा किया कि अगर सपा नेतृत्व ने समय रहते साथ दिया होता, तो आजम खान को इतना कष्ट नहीं झेलना पड़ता।
अब्दुल्ला आजम ने जताया आभार
आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने स्वामी प्रसाद मौर्य का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य की यह मुलाकात हमारे परिवार और समर्थकों के लिए भावनात्मक और नैतिक समर्थन का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि आजम खान अब धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं, लेकिन कानूनी लड़ाई अभी जारी है।
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान को ‘क्वालिटी बार भूमि हड़पने’ के मामले में जमानत दी थी, जिसके बाद वे लगभग 23 महीने की कैद के बाद सीतापुर जेल से रिहा हुए। हालांकि, वे अभी भी कई अन्य विवादित मुकदमों में फंसे हुए हैं और उनकी कानूनी लड़ाई जारी है। लेकिन मौर्य के बयान ने यह साफ कर दिया कि सपा के भीतर ही आजम खान के साथ हुए व्यवहार को लेकर नाराजगी है।

आजम खान की रिहाई ने न केवल रामपुर, बल्कि उत्तर प्रदेश की सियासी फिजा को गर्म कर दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य की मुलाकात और उनके तीखे बयान यह संकेत दे रहे हैं कि आने वाले चुनावों से पहले अल्पसंख्यक राजनीति, सपा की अंदरूनी खींचतान और भाजपा पर आरोपों का दौर और तेज होगा।

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