
बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में अंदरूनी खींचतान खुलकर सामने आने लगी है। हाल ही में पार्टी से निष्कासित किए गए तेजप्रताप यादव ने अब राजद विधायक भाई वीरेंद्र को लेकर सीधे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से जवाब मांगा है।
तेजप्रताप पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वे महुआ सीट से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में उनका यह सार्वजनिक हमला राजद के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
भाई वीरेंद्र की वायरल ऑडियो क्लिप से विवाद
तेजप्रताप यादव की यह प्रतिक्रिया भाई वीरेंद्र के एक कथित वायरल ऑडियो क्लिप के बाद आई है। इस ऑडियो में एक व्यक्ति, जिसे भाई वीरेंद्र बताया जा रहा है, एक पंचायत सचिव को धमकी देते हुए अपमानित कर रहा है। ऑडियो में स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है कि वे पंचायत सचिव को “जूते से मारने” और “जान से मारने” जैसी धमकियां दे रहे हैं।
इस घटना को लेकर संबंधित पंचायत सचिव ने प्राथमिकी दर्ज कराई है, और उन्होंने अपने ट्रांसफर की मांग भी की है।
तेजप्रताप का तीखा हमला, पूछा- क्या अब होगी कार्रवाई?
तेजप्रताप यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक तस्वीर (कार्टून) साझा करते हुए लिखा,
“क्या राजद अपने विधायक भाई वीरेंद्र पर भी कार्रवाई करेगी, जिन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर के आदर्शों के उलट एससी-एसटी समाज के खिलाफ शर्मनाक टिप्पणी की, जान से मारने की धमकी दी?”
उन्होंने आगे लिखा,
“मुझे तो जयचंदों की साजिश के तहत पार्टी से बाहर कर दिया गया… अब देखना है कि बवाल करने वालों पर भी पार्टी उतनी ही सख्ती दिखाएगी या नहीं? संविधान का सम्मान भाषणों में नहीं, आचरण में दिखना चाहिए।”
कार्टून के माध्यम से भी साधा निशाना
तेजप्रताप द्वारा शेयर किए गए कार्टून में भाई वीरेंद्र के साथ एक अन्य व्यक्ति कुर्सी पर बैठा दिखाया गया है, जबकि पीछे बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लगी हुई है। यह प्रतीकात्मक चित्र राजद के भीतर जातीय और नैतिक मूल्यों के कथित उल्लंघन की ओर इशारा करता है।
राजद नेतृत्व की चुप्पी पर सवाल
तेजप्रताप के सवालों से स्पष्ट है कि वे सिर्फ भाई वीरेंद्र पर नहीं, बल्कि राजद नेतृत्व की निष्क्रियता और दोहरे मापदंडों पर भी सवाल उठा रहे हैं। वे यह दिखाना चाह रहे हैं कि पार्टी में कुछ नेताओं को संरक्षण मिलता है, जबकि बाकी को “साजिश” के तहत बाहर कर दिया जाता है।
चुनाव से पहले पार्टी के लिए संकट
भाई वीरेंद्र का यह मामला और तेजप्रताप यादव की बयानबाजी, दोनों ही राजद के लिए चुनाव पूर्व राजनीतिक संकट को बढ़ा सकते हैं। जहां एक ओर राजद को दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को साधने की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर अंदरूनी टकराव और विवाद उसके जनाधार को प्रभावित कर सकते हैं। अब देखना होगा कि लालू यादव और तेजस्वी यादव इस मामले पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या भाई वीरेंद्र के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या नहीं।

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