
बिहार की राजनीति में उस समय नया तूफान आ गया जब राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव में काम कर रहा चुनाव आयोग, लोकतंत्र को कमजोर करने की साज़िश में लगा है।
तेजस्वी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि SIR के तहत राज्य में करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जो कुल मतदाताओं का करीब 8.5% है। उन्होंने सवाल उठाया कि विधानसभा वार सूची तो दी गई है, लेकिन नाम हटाए जाने के पीछे कारण नहीं बताए गए—न निधन, न स्थानांतरण, न दोहरे नाम। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि उनका खुद का नाम भी वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है।
तेजस्वी का सीधा आरोप:
“अगर मेरा ही नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया है, तो सोचिए आम लोगों का क्या हाल होगा। मैंने गणना प्रपत्र भरा था, फिर भी नाम काटा गया। चुनाव आयोग को पहले से ही बता दिया गया है कि किसका नाम हटाना है और किसे जिताना है,” तेजस्वी ने कहा।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को दी गई मतदाता सूची में किसी मतदाता का पता, बूथ संख्या या ईपीआईसी नंबर नहीं दिया गया है, जिससे यह पता ही न चल सके कि किसका नाम सूची से हटाया गया है।
पारदर्शिता और तकनीकी प्रक्रिया पर सवाल
तेजस्वी ने कहा कि आयोग को बूथवार और कैटेगरीवार सूची जारी करनी चाहिए ताकि यह साफ हो सके कि किन वर्गों या समुदायों के नाम अधिक काटे गए। उन्होंने पूछा, “आखिर कौन सी तकनीक अपनाकर 65 लाख नाम काटे गए? क्या यह सिर्फ तकनीकी गलती है या जानबूझकर की गई चुनावी धांधली?”
सत्ता पक्ष पर अप्रत्यक्ष निशाना
हालांकि तेजस्वी ने किसी दल का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके शब्दों में सत्ताधारी दल पर सीधा हमला छिपा था। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग अब पूरी तरह एक राजनीतिक दल के कहे अनुसार चल रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। बिहार कमजोर नहीं है, अगर चुनाव में गड़बड़ी होगी तो जनता जवाब देगी।”
विपक्षी लामबंदी की तैयारी?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेजस्वी इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं। उनके इस बयान को आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
तेजस्वी के आरोपों ने न सिर्फ चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा किया है, बल्कि यह स्पष्ट संकेत भी दिया है कि बिहार में आगामी चुनावों को लेकर विपक्ष का रुख अब आक्रामक होने वाला है। चुनाव आयोग की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन तेजस्वी यादव के आरोपों ने सियासी हलकों में नई बहस छेड़ दी है।

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