
तेजस्वी यादव
एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने तेजस्वी यादव के एक बयान, जिसमें उन्हें ‘कट्टरपंथी’ (Extremist) कहा गया था, पर कड़ा ऐतराज जताया और इसे “दिल की नफरत” बताया। ओवैसी ने तेजस्वी यादव को सलाह देते हुए कहा कि अगर वह सच में बिहार की जनता की सेवा करना चाहते हैं और मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं, तो उन्हें पहले अपने मन से नफरत की भावना को खत्म करना चाहिए। ओवैसी के इस बयान ने बिहार की चुनावी राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है, जहाँ दूसरे चरण के मतदान से पहले राजनीतिक बयानबाजी चरम पर है।

महत्वाकांक्षा और भाषा का संतुलन
ओवैसी ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक जीवन में महत्वाकांक्षी होने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन महत्वाकांक्षा और उपयोग की जाने वाली भाषा के बीच संतुलन होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने तेजस्वी यादव को संबोधित करते हुए कहा कि एक व्यक्ति जो मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहा है, उसे इस तरह की “कटु भाषा” का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ‘कट्टरपंथी’ जैसे शब्द का प्रयोग करना उनकी नकारात्मक सोच और ओवैसी के प्रति उनकी आंतरिक नफरत को दर्शाता है। यह बयान दिखाता है कि राजनीति में शब्दों का चयन कितना महत्वपूर्ण होता है और एक नेता के व्यक्तित्व को कैसे उजागर करता है।
पारिवारिक मतभेद और जनता की एकता
AIMIM प्रमुख ने लालू परिवार में चल रहे आंतरिक मतभेदों को भी मुद्दा बनाया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जो परिवार खुद ही “आपसी फूट और मतभेदों से जूझ रहा है”, वह बिहार की जनता के बीच एकता और विकास की बात कैसे कर सकता है? ओवैसी ने याद दिलाया कि इस परिवार ने ‘एम-वाई’ (मुस्लिम-यादव) गठबंधन के नाम पर लगभग 15 साल तक बिहार पर राज किया है, लेकिन आज उन्हीं के घर में तालमेल की कमी दिखाई दे रही है। लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव, सभी बड़े राजनीतिक पदों पर रहे, लेकिन “आज उनके अपने घर में ही एकता और तालमेल नहीं बचा है।” उन्होंने सवाल किया कि जिस घर में एकजुटता नहीं है, वो “बिहार की जनता को क्या एकजुट करेगा?”
गठबंधन की राजनीति पर स्थिति स्पष्ट
चुनावी गठबंधन को लेकर चल रही अटकलों पर भी असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ नहीं, बल्कि चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी और स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। ओवैसी ने इस गठजोड़ को “लोकतांत्रिक गठजोड़” का नाम दिया है, जो एक नई राजनीतिक दिशा की ओर इशारा करता है। यह बयान उन सभी अटकलों पर विराम लगाता है जिनमें AIMIM के संभावित सहयोगियों को लेकर भ्रम की स्थिति थी।
चुनावी माहौल और राजनीतिक गर्मी
बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल पूरी तरह गर्म है। पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है और अब सबकी निगाहें दूसरे चरण के मतदान पर टिकी हैं, जिसके लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। चुनावी प्रचार थमने से ठीक पहले ओवैसी और तेजस्वी के बीच हुई यह जुबानी जंग राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी, जिसके बाद चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे। तब तक यह देखना दिलचस्प होगा कि इन तीखे बयानों का जनता के मन पर क्या असर होता है।

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