
अमेरिका की राजनीति एक बार फिर विवादों के भंवर में है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर अब देश की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) तुलसी गबार्ड ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता से हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। तुलसी गबार्ड ने ओबामा और उनके प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों पर आपराधिक साजिश, झूठी खुफिया रिपोर्टें तैयार करने, और राजनीतिक माहौल को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
डीएनआई का बड़ा खुलासा
शुक्रवार को एक प्रेस रिलीज में डीएनआई ने बताया कि उन्होंने ओबामा प्रशासन द्वारा गढ़े गए खुफिया तथ्यों और उनके दुरुपयोग के सबूत पेश किए हैं। यह दावा किया गया कि ओबामा प्रशासन ने जानबूझकर ऐसी सूचनाएं तैयार कीं जो यह दर्शाती थीं कि रूस ने अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप किया, जबकि प्रारंभिक खुफिया रिपोर्ट्स इसका खंडन कर रही थीं।
2016 की बैठक बनी केंद्र बिंदु
प्रेस रिलीज के अनुसार, 7 दिसंबर 2016 को तत्कालीन खुफिया निदेशक जेम्स क्लैपर की टॉकिंग पॉइंट्स में साफ लिखा था कि “विदेशी दुश्मनों ने चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए कोई हमला नहीं किया।” लेकिन इसके दो दिन बाद, 9 दिसंबर को व्हाइट हाउस में ओबामा की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के शीर्ष अधिकारी जुटे।
इस बैठक में ट्रंप के खिलाफ कथित खुफिया आकलन को नया रूप देने पर चर्चा हुई। बैठक के बाद, क्लैपर के सहायक द्वारा ईमेल भेजा गया, जिसमें एक नया खुफिया आकलन तैयार करने के निर्देश दिए गए, जिसकी अगुवाई ओडीएनआई को करनी थी। इसमें सीआईए, एफबीआई, एनएसए और डीएचएस की भी भागीदारी रखी गई।
मीडिया लीक और राजनीतिक असर
डीएनआई के अनुसार, इसके बाद प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने इस नए, राजनीतिक रूप से प्रभावित खुफिया आकलन को मीडिया में लीक किया। ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में रिपोर्ट्स छपीं, जिनमें रूस पर चुनाव परिणामों को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया।
गबार्ड का आरोप है कि इस मीडिया कैंपेन का उद्देश्य ट्रंप की वैधता को कमजोर करना, मुलर जांच को जन्म देना, दो बार महाभियोग चलाना और राजनीतिक ध्रुवीकरण को गहराना था।
“चाहे जितने ताकतवर हों, जांच जरूरी” – गबार्ड
तुलसी गबार्ड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,
“बराक ओबामा का मकसद ट्रंप को सत्ता से हटाना और अमेरिकी लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाना था। चाहे वह कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, इस साजिश में शामिल हर व्यक्ति की जांच होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि न्याय विभाग को सभी आवश्यक दस्तावेज सौंपे जा रहे हैं और निष्पक्ष आपराधिक जांच की मांग की जा रही है।
पूर्व खुफिया प्रमुखों पर भी सवाल
इस विवाद में जेम्स क्लैपर (पूर्व डीएनआई), जॉन ब्रेनन (सीआईए प्रमुख), सुसान राइस (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार), और लोरेटा लिंच (पूर्व अटॉर्नी जनरल) जैसे प्रमुख नाम भी सामने आए हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने ओबामा के कहने पर झूठी और मनगढ़ंत खुफिया रिपोर्ट तैयार की और उसे सार्वजनिक रूप से प्रचारित कराया।
राजनीति या सच? जांच से होगा फैसला
यह मामला अमेरिका की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद संवेदनशील बन चुका है। यदि तुलसी गबार्ड के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह देश के इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र माना जाएगा। वहीं ओबामा समर्थकों का कहना है कि यह सब राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।
अमेरिका, जो दुनिया भर में लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है, अब अपने ही अंदर लोकतांत्रिक मूल्यों की गंभीर परीक्षा से गुजर रहा है। अब सबकी निगाहें न्याय विभाग और आने वाली जांच रिपोर्ट्स पर टिकी हैं, जो तय करेंगी कि यह आरोप राजनीति का हिस्सा हैं या फिर वास्तव में लोकतंत्र के साथ की गई गहरी साजिश का पर्दाफाश।

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