
तमिलनाडु के करूर जिले में तमिलनाडु वेत्री कझगम (टीवीके) प्रमुख और अभिनेता विजय की रैली के दौरान हुई भगदड़ ने पूरे राज्य को शोक में डुबो दिया है। इस भयावह घटना में अब तक 39 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 12 पुरुष, 16 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल हैं। यह राज्य के राजनीतिक इतिहास की सबसे बड़ी जनहानि वाली घटना बन गई है, जिसने प्रशासन, राजनीतिक दलों और आम जनता को गहरे सदमे में डाल दिया है।
भीड़ से बिगड़ा संतुलन
तमिलनाडु के प्रभारी डीजीपी जी. वेंकटरमण ने इस घटना को बेहद दुखद बताया। उन्होंने कहा कि टीवीके की रैलियों में पहले कम भीड़ होती थी, लेकिन इस बार अनुमान से कहीं अधिक लोग पहुंचे। आयोजकों ने करूर में एक बड़े मैदान की मांग की थी और लगभग 10,000 लोगों के आने की उम्मीद जताई थी, लेकिन वास्तविक संख्या 27,000 के पार पहुंच गई। प्रचार स्थल पर अभिनेता विजय को जनता को संबोधित करना था, जहां 500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे। लेकिन भीड़ के दबाव और अव्यवस्था के कारण हालात बेकाबू हो गए।
अव्यवस्था और लापरवाही के आरोप
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि टीवीके पदाधिकारियों ने खुले मैदान में रैली करने से इनकार कर दिया था। इसके चलते लोग वाहनों के साथ चलते रहे और गर्मी व थकान के कारण स्थिति बिगड़ती गई। रैली स्थल पर पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे महिलाओं और बच्चों को विशेष परेशानी हुई। कई लोग बेहोश हो गए और भगदड़ मच गई। पुलिस का कहना है कि यदि सभा खुले मैदान में होती, तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी।

मुख्यमंत्री स्टालिन का करूर दौरा
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन रात में ही करूर पहुंचे और मृतकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह हमारे राज्य के इतिहास में किसी राजनीतिक दल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सबसे बड़ी जनहानि है। भविष्य में ऐसी त्रासदी कभी नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने बताया कि फिलहाल 51 लोग गहन चिकित्सा इकाई में इलाजरत हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक मृतक के परिवार को ₹10 लाख और घायलों को ₹1 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने एक जांच आयोग के गठन का आदेश दिया, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अरुणा जगदीशन करेंगी।
जांच आयोग और कानूनी कार्रवाई
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) एस. डेविडसन देवसिरवथम ने कहा कि प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है और मामला दर्ज कर लिया गया है। आयोग यह जांच करेगा कि आयोजकों ने सुरक्षा मानकों का पालन किया या नहीं, और क्या प्रशासन की ओर से कोई चूक हुई।

सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मृतकों के पोस्टमॉर्टम किए गए हैं, और अब शव उनके परिजनों को सौंपे जा रहे हैं। अस्पताल परिसर में शोकाकुल माहौल है, जहां परिजन अपने प्रियजनों की अंतिम यात्रा की तैयारी में लगे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सहयोग
भाजपा नेता तमिलिसाई सुंदरराजन ने करूर पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “हम इसे सनसनीखेज बनाने के बजाय समझदारी से काम लें। रक्त, चिकित्सा या किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो, हम तैयार हैं।” उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री से बात की है और केंद्र सरकार ने हर संभव मदद की पेशकश की है।
राज्य के अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस घटना पर दुख जताया है और जांच की पारदर्शिता की मांग की है। विपक्ष ने आयोजकों की लापरवाही और प्रशासन की तैयारी पर सवाल उठाए हैं।
बच्चों की मौत ने बढ़ाया दर्द
इस त्रासदी में 10 बच्चों की मौत ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। कई महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ रैली में आई थीं, जिन्हें गर्मी, भीड़ और अव्यवस्था ने घेर लिया। बच्चों की मौत ने इस घटना को और अधिक दर्दनाक बना दिया है। अस्पताल में बच्चों के शवों को देखकर परिजनों की चीख-पुकार ने माहौल को और अधिक भावुक बना दिया।
घायलों का इलाज और राहत कार्य
करूर के अस्पतालों में घायलों का इलाज जारी है। डॉक्टरों की टीम लगातार काम कर रही है। राज्य सरकार ने राहत कार्यों के लिए विशेष टीमों का गठन किया है। एनजीओ और स्थानीय संगठनों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। रक्तदान शिविर लगाए गए हैं और घायलों को हर संभव चिकित्सा सहायता दी जा रही है।
आयोजकों की भूमिका पर सवाल
टीवीके के आयोजकों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि उन्होंने खुले मैदान में रैली करने का सुझाव दिया था, जिसे आयोजकों ने ठुकरा दिया। सुरक्षा मानकों की अनदेखी और भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था में कमी को इस त्रासदी का मुख्य कारण माना जा रहा है।
भविष्य की रैलियों पर पुनर्विचार
इस घटना के बाद राज्य सरकार ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे भविष्य में किसी भी सार्वजनिक सभा के लिए प्रशासन से पूर्व अनुमति लें और सुरक्षा मानकों का पालन करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

सामाजिक और प्रशासनिक संदेश
करूर की यह घटना सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि सामाजिक चेतावनी भी है। जब जनभावनाएं किसी नेता के प्रति उमड़ती हैं, तो आयोजकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। विजय जैसे लोकप्रिय अभिनेता की रैली में भीड़ का उमड़ना स्वाभाविक था, लेकिन उसकी तैयारी में चूक ने कई जिंदगियां छीन लीं।
संवेदना और सतर्कता की आवश्यकता
करूर की भगदड़ ने तमिलनाडु को गहरे शोक में डाल दिया है। यह घटना प्रशासन, आयोजकों और राजनीतिक दलों के लिए एक चेतावनी है कि जनसभाओं में सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। मुख्यमंत्री स्टालिन की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन भविष्य में ऐसी त्रासदी रोकने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता है।

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