
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने घोषणा की है कि भारत 2030 तक दुनिया के शीर्ष 10 जहाज निर्माता देशों में शामिल होगा और 2047 तक शीर्ष पांच देशों में अपनी जगह बना लेगा। उन्होंने तमिलनाडु के वीओ चिदंबरनार (वीओसी) पोर्ट पर भारत के पहले पोर्ट-बेस्ड ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन करते हुए यह बात कही, जहां उन्होंने कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का भी अनावरण किया जो देश के समुद्री क्षेत्र को नया आकार देने के लिए तैयार हैं।
आत्मनिर्भरता और स्थायी विकास की ओर
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” के दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जिसे उन्होंने “गति, पैमाने, स्थिरता और आत्मनिर्भरता का मिश्रण” बताया। सोनोवाल ने जोर देकर कहा कि शुरू की गई ये परियोजनाएं न केवल हजारों रोजगार के अवसर पैदा करेंगी, बल्कि वैश्विक निवेश को भी आकर्षित करेंगी, जिससे तमिलनाडु भारत की आर्थिक आकांक्षाओं में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में, हम 2030 तक दुनिया के टॉप 10 जहाज निर्माता देशों और 2047 तक टॉप 5 देशों में शामिल होने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में लगातार नए कदम उठा रहे हैं।”

वीओसी पोर्ट: ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का अग्रणी
इस अवसर पर, 3.87 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित भारत के पहले पोर्ट-बेस्ड ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया। यह सुविधा पोर्ट कॉलोनी में स्ट्रीट लाइटों और एक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन को बिजली देने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करेगी। इस शुभारंभ के साथ, वीओसी पोर्ट देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करने वाला बंदरगाह बन गया है, जो भारत के हरित ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ग्रीन मेथनॉल बंकरिंग और तटीय हरित शिपिंग
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने 35.34 करोड़ रुपये की लागत से 750 घन मीटर क्षमता वाली एक पायलट ग्रीन मेथनॉल बंकरिंग और ईंधन भरने की सुविधा की आधारशिला भी रखी। यह पहल कांडला और तूतीकोरिन के बीच प्रस्तावित तटीय हरित शिपिंग कॉरिडोर से जुड़ी हुई है, और उम्मीद है कि वीओसी पोर्ट दक्षिण भारत में एक प्रमुख ग्रीन बंकरिंग हब के रूप में स्थापित होगा। यह कदम समुद्री परिवहन में डीकार्बोनाइजेशन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो स्वच्छ ईंधन समाधानों को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

बुनियादी ढांचे का व्यापक विकास
उद्घाटन और शिलान्यास समारोह में कई अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी शामिल थीं। इनमें 400 किलोवाट का रूफटॉप सोलर पावर प्लांट शामिल है, जो बंदरगाह की रूफटॉप सौर क्षमता को बढ़ाकर 1.04 मेगावाट कर देगा, जो भारतीय बंदरगाहों में सबसे अधिक है। इसके अलावा, कोल जेटी-I को बंदरगाह स्टैक यार्ड से जोड़ने वाला 24.5 करोड़ रुपये का लिंक कन्वेयर भी शुरू किया गया, जिससे दक्षता में 0.72 एमएमटीपीए की वृद्धि होगी।
केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने 6 मेगावाट के पवन फार्म, 90 करोड़ रुपये की लागत वाले मल्टी-कार्गो बर्थ, 3.37 किलोमीटर लंबी चार-लेन सड़क और तमिलनाडु समुद्री विरासत संग्रहालय की आधारशिला भी रखी। ये परियोजनाएं बंदरगाह के संचालन को आधुनिक बनाने, क्षमता बढ़ाने और समुद्री क्षेत्र में स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

तमिलनाडु में सागरमाला का प्रभाव
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि तमिलनाडु के तीन प्रमुख बंदरगाहों – चेन्नई, कामराजर और वीओसी – ने सागरमाला कार्यक्रम के तहत परिवर्तनकारी विकास देखा है। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में 93,715 करोड़ रुपये की लागत से 98 परियोजनाओं पर काम शुरू किया गया है, जिनमें से 50 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं। सोनोवाल ने कहा, “यह एक अनोखी वृद्धि है। मात्र इन बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और क्षमता वृद्धि के लिए 16,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है।” यह भारी निवेश इन बंदरगाहों की दक्षता, कनेक्टिविटी और क्षमता को बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो भारत के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
भारत का समुद्री क्षेत्र एक अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें हरित ऊर्जा, आधुनिक बुनियादी ढांचे और वैश्विक नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। ये परियोजनाएं न केवल भारत को एक प्रमुख जहाज निर्माण राष्ट्र के रूप में स्थापित करेंगी, बल्कि इसे वैश्विक समुद्री क्षेत्र में स्थिरता और नवाचार के प्रतीक के रूप में भी स्थापित करेंगी।

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