
लखनऊ: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। इस बार प्रत्याशियों का चयन करने से पहले सपा एक निजी पेशेवर कंपनी से सर्वे करा रही है। इस सर्वे का उद्देश्य जीतने वाले उम्मीदवारों का पता लगाना और उन कमजोर सीटों की पहचान करना है, जहां पार्टी को खास मेहनत करने की जरूरत है।
यह सर्वे जनवरी महीने में शुरू होगा और इसका आधार हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की वर्तमान स्थिति होगी। सर्वे में उन उम्मीदवारों की जीत की संभावना का भी आकलन किया जाएगा, जिन्होंने अपनी दावेदारी पेश की है। सपा का मानना है कि जिस उम्मीदवार की जीत की संभावना जितनी ज्यादा होगी, उसे टिकट मिलने की संभावना भी उतनी ही अधिक होगी।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस सर्वे पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने खासकर आगरा, मथुरा जैसे उन जिलों पर फोकस किया है, जहां 2022 के चुनाव में सपा भाजपा के मुकाबले कमजोर साबित हुई थी। अखिलेश यादव ने साफ किया है कि फिलहाल सपा-कांग्रेस गठबंधन बरकरार रहेगा और दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
पार्टी के जिला प्रभारी नेता और अन्य दावेदार भी सोशल मीडिया पर अपनी फोटो साझा कर रहे हैं, ताकि वे अपनी दावेदारी मजबूत कर सकें। यह सर्वे सपा के लिए न केवल सही उम्मीदवार चुनने में मदद करेगा, बल्कि पार्टी को अपनी कमजोरियों को दूर करने और चुनावी रणनीति को और मजबूत करने का अवसर भी देगा।

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