
उत्तर प्रदेश विधानसभा में एक नई पहल की शुरुआत होने जा रही है। विधायकों के कार्यों को अधिक प्रभावी और तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने के लिए अब उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ प्रोफेसरों की मदद ली जा रही है। प्रस्ताव के अनुसार, यह प्रशिक्षण आगामी मानसून सत्र के मध्य या अंत में आयोजित किए जाने की योजना है।
स्वैच्छिक होगा प्रशिक्षण, विधायकों को मिलेगा तकनीकी लाभ
एआई प्रशिक्षण स्वैच्छिक होगा, यानी किसी भी विधायक पर इसे लेने का दबाव नहीं डाला जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य एआई टूल्स की समझ को बढ़ाना है ताकि विधायक विधायी प्रक्रिया में तकनीक का लाभ उठा सकें।
प्रशिक्षण सत्र में यह बताया जाएगा कि एआई किस प्रकार से बिल ड्राफ्ट करने, कानूनी समस्याओं की पहचान, तथा अन्य राज्यों और देशों के कानूनों की तुलना करने में सहायक हो सकता है। इससे विधायकों की नीतिगत दक्षता में इजाफा होगा और कानून निर्माण की प्रक्रिया अधिक सटीक बन सकेगी।
जनता से जुड़ाव में भी कारगर हो सकता है एआई
एआई की मदद से विधायक सोशल मीडिया, जन सर्वेक्षण, और जन याचिकाओं का विश्लेषण कर जनमत को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। इसके अतिरिक्त, यह तकनीक विधायकों को उनके स्वार्थ-संबंधित क्षेत्रों या संपत्तियों से जुड़ी जानकारी एकत्र करने और उनका मूल्यांकन करने में भी मददगार होगी।
तकनीक से लोकतंत्र की मजबूती की पहल
उत्तर प्रदेश विधानसभा की यह पहल दिखाती है कि राजनीतिक प्रक्रिया में तकनीक का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। इससे विधायकों को न केवल अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम देने में मदद मिलेगी, बल्कि वे नागरिकों की अपेक्षाओं के अनुरूप तेजी से निर्णय भी ले सकेंगे।
यह कदम डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और सशक्त कदम माना जा रहा है, जिससे राज्य की विधायी व्यवस्था में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।

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