
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां तेज़ हो गई हैं। ग्राम पंचायतों के आंशिक पुनर्गठन के बाद अब वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। पंचायती राज विभाग ने संकेत दिए हैं कि एक अगस्त से ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के वार्डों के परिसीमन का काम शुरू कर दिया जाएगा।
मतदाता सूची पुनरीक्षण की तिथियां घोषित
राज्य निर्वाचन आयोग पहले ही मतदाता सूची के पुनरीक्षण की तिथियां घोषित कर चुका है। इससे यह साफ हो गया है कि आयोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक, परिसीमन के बाद वार्डों की नई संख्या के आधार पर मतदाता सूची को अपडेट किया जाएगा ताकि किसी भी मतदाता का नाम छूटने न पाए।
आंशिक पुनर्गठन से बदला ग्राम पंचायतों का नक्शा
वर्ष 2021 के पंचायत चुनाव में यूपी में कुल 58,195 ग्राम पंचायतें थीं। हालिया आंशिक पुनर्गठन के बाद इनमें 512 ग्राम पंचायतों का विलय हो गया है, जबकि 11 नई ग्राम पंचायतों का गठन हुआ है। इसके बाद अब प्रदेश में ग्राम पंचायतों की कुल संख्या घटकर 57,694 रह गई है। शहरी निकायों के विस्तार के चलते कई ग्रामीण इलाकों को शहरी सीमा में शामिल किया गया, जिसका सीधा असर पंचायतों की संख्या पर पड़ा है।
कितने वार्ड होंगे प्रभावित
2021 के पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य के लिए 3,050 वार्ड, क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए 75,845 वार्ड और ग्राम पंचायत सदस्य के लिए 7,32,643 वार्ड थे। ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी आने से स्वाभाविक तौर पर अब वार्डों की संख्या में भी कमी आएगी। हालांकि, नई जनसंख्या और क्षेत्रीय संरचना के आधार पर कुछ नए वार्ड भी बन सकते हैं ताकि जनप्रतिनिधित्व संतुलित रहे।
समयबद्ध तरीके से होगी परिसीमन प्रक्रिया
पंचायती राज विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से संपन्न कराई जाएगी। विभाग स्तर पर वार्डों की सीमाओं को चिह्नित करने के लिए जिलों को विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे जा चुके हैं। ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला पंचायत तक की रिपोर्ट तैयार कर उसे आयोग को सौंपा जाएगा।
शहरी विस्तार बना बड़ी चुनौती
शहरी सीमा विस्तार की वजह से ग्राम पंचायतों में बदलाव को लेकर कई जगह स्थानीय लोगों में असमंजस की स्थिति है। शहरी निकायों में शामिल किए गए ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अब पंचायत नहीं बल्कि नगरपालिका या नगर पंचायत के प्रतिनिधि चुनने होंगे। ऐसे में परिसीमन प्रक्रिया को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
पंचायत चुनाव की उलटी गिनती शुरू
परिसीमन के बाद मतदाता सूची का पुनरीक्षण और आरक्षण तय होने की प्रक्रिया भी आगे बढ़ाई जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समयबद्ध ढंग से यह सभी चरण पूरे हुए तो राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अगले साल बिना किसी बाधा के कराए जा सकेंगे। पंचायत चुनाव को लोकतंत्र की नींव माना जाता है, ऐसे में सरकार और निर्वाचन आयोग इसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर कोई कोताही नहीं बरतना चाहते।

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