उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बीते दो दिनों से एकदम अलग अंदाज़ में नजर आ रहे हैं। शनिवार को जहां वे अपने पैतृक गांव खटीमा के नगरा तराई में खेत जोतते और धान की रोपाई करते दिखे, वहीं रविवार को वे जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में जंगल सफारी करते हुए प्रकृति और वन्यजीवन की खूबसूरती का आनंद लेते नजर आए।
शनिवार को सीएम धामी खुद हल लेकर खेत में उतरे और धान की रोपाई में हिस्सा लिया। वे पूरी तरह किसानों की वेशभूषा में दिखे और अन्नदाताओं के परिश्रम को नमन करते हुए उनके महत्व को रेखांकित किया। खेत में उन्हें देखकर स्थानीय ग्रामीणों की आंखें भी नम हो गईं। इस दृश्य ने सोशल मीडिया पर खूब सराहना बटोरी, हालांकि कुछ लोगों ने इसे “राजनीतिक दिखावा” भी करार दिया।
खेत में परिश्रम के अगले ही दिन रविवार को सीएम धामी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंचे, जहां उन्होंने जंगल सफारी का आनंद लिया। सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में जंगल सफारी पर्यटन को लेकर सरकार लगातार काम कर रही है, जिससे यहां की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है और स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
धामी ने कहा, “देश-विदेश से अब पर्यटक उत्तराखंड आ रहे हैं। कॉर्बेट, राजाजी, अस्कोट, नैनीताल जैसे क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है। इससे गांवों में भी आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं।”
सीएम के इस दोहरे रूप—एक ओर खेत में हल चलाते किसान और दूसरी ओर जंगल में सफारी करते एक पर्यटक—को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा गर्म है। समर्थक इसे “जमीनी नेता” की छवि बता रहे हैं तो कुछ विपक्षी दल इसे “इमेज बिल्डिंग की कोशिश” कह रहे हैं।
लेकिन एक बात तय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह अंदाज जनता को अपनी जड़ों से जुड़े और प्रकृति के करीब जाने का संदेश जरूर दे रहा है। यह प्रयास न केवल आमजन के साथ जुड़ाव को दर्शाता है, बल्कि उत्तराखंड की संभावनाओं और संस्कृति को भी उजागर करता है।