
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। राज्य के 12 जिलों में संपन्न हुए इस लोकतांत्रिक महापर्व में जहां एक ओर भाजपा और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली, वहीं निर्दलीय और बागी उम्मीदवारों ने भी जबरदस्त प्रदर्शन कर सियासी समीकरणों को नया रंग दे दिया।
इस बार के चुनाव की सबसे बड़ी विशेषता रही युवा और महिला प्रत्याशियों की उल्लेखनीय भागीदारी और ऐतिहासिक जीत। उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड से 24 वर्षीय रविना रावत ने जिला पंचायत सीट पर 1,500 से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर सबका ध्यान खींचा। वहीं, सौड़ गांव से 25 वर्षीय अंजना रावत ने ग्राम प्रधान पद पर शानदार जीत हासिल कर नई पीढ़ी की नेतृत्व क्षमता को दर्शाया।
इन चुनावों में रोमांच की भी कमी नहीं रही। कुछ सीटों पर मुकाबला इतना कांटे का रहा कि फैसला टॉस यानी पर्ची सिस्टम से करना पड़ा। चमोली जिले की बणद्वारा ग्राम पंचायत में नितिन नेगी और रविंद्र सिंह को बराबर-बराबर 138 वोट मिलने पर पर्ची से निर्णय किया गया, जिसमें नितिन नेगी विजयी रहे। इसी तरह रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक की कांदी और चौकी-बरसिल ग्राम पंचायतों में भी बराबरी के बाद पर्ची और लॉटरी से ग्राम प्रधान तय किए गए।

इस चुनाव में कुल 66,418 पदों के लिए चुनाव अधिसूचित किए गए थे, जिनमें से 22,429 पदों पर प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए। शेष पदों के लिए हुए चुनाव में जनता ने लोकतांत्रिक जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाया, और मतदान में उत्साहपूर्वक भागीदारी की।
राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार एक नई पहल करते हुए पंचायत चुनावों के परिणाम वेबसाइट पर सार्वजनिक किए। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी, बल्कि प्रत्याशियों, मतदाताओं और मीडिया को सटीक जानकारी उपलब्ध हुई। वेबसाइट पर प्रत्याशियों के नाम, प्राप्त वोट, खारिज मतों की संख्या तक की जानकारी दी गई।
राजनीतिक दलों की बात करें तो कांग्रेस ने इस बार उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी की सफलता की सराहना करते हुए भाजपा पर निशाना साधा, वहीं भाजपा ने भी कई सीटों पर अपनी मजबूती दिखाई है। लेकिन तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट शुक्रवार देर शाम के बाद ही होगी जब जिला पंचायत के सभी 358 पदों की मतगणना पूरी हो जाएगी।

उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 ने न केवल राजनीतिक विविधता और क्षेत्रीय भागीदारी को बढ़ावा दिया, बल्कि महिलाओं, युवाओं और स्वतंत्र प्रत्याशियों की सक्रिय उपस्थिति से लोकतंत्र की नींव और मजबूत की है। यह चुनाव वास्तव में जनता के मत से नेतृत्व के चयन का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आया है।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।