
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने पत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कहा कि चिकित्सकीय सलाह के अनुसार उन्हें स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देनी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इस्तीफा पत्र साझा करते हुए धनखड़ ने लिखा, “मैं भारत के संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अंतर्गत उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।”
उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद सदस्यों का आभार जताते हुए कहा कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान जो समर्थन और सहयोग मिला, वह उनके जीवन का अमूल्य अनुभव रहा। उन्होंने इस अवधि में देश की आर्थिक प्रगति और वैश्विक पहचान में आई मजबूती को लेकर संतोष व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद को कहा धन्यवाद
धनखड़ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद का विशेष रूप से आभार जताया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन मेरे लिए बेहद प्रेरणादायक रहा है। उनके नेतृत्व में मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं उन सभी सांसदों को भी धन्यवाद देता हूं, जिनसे मुझे गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला।”
उन्होंने यह भी कहा कि उपराष्ट्रपति के रूप में काम करते हुए भारत के लोकतंत्र की गहराई और उसकी शक्ति को उन्होंने बहुत करीब से महसूस किया, और यह अनुभव उनके लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा।
संवैधानिक व्यवस्था के तहत होगा आगे का कार्य
धनखड़ के इस्तीफे के बाद संवैधानिक विशेषज्ञों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विराग गुप्ता ने बताया कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है और अब उनकी जिम्मेदारियों को राज्यसभा के उपसभापति संभालेंगे। उन्होंने बताया कि संविधान में ऐसी परिस्थितियों के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं, और दो महीने के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना चाहिए।
एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप यादव ने कहा कि उपराष्ट्रपति का पद खाली होने से कोई संवैधानिक संकट नहीं उत्पन्न होता, क्योंकि राज्यसभा के उपसभापति अंतरिम रूप से उनकी जिम्मेदारी निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में यह स्पष्ट व्यवस्था है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे प्रमुख संवैधानिक पद कभी रिक्त नहीं रह सकते।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर भाजपा उपाध्यक्ष प्रिया सेठी ने कहा कि “हम सभी को उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए। संसद में उनकी सूझबूझ और नेतृत्व की कमी खलेगी।”
शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि “स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद छोड़ना एक साहसी कदम है। हम उनके दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। वह जिस भी भूमिका में हों, राष्ट्र के लिए प्रेरणा रहेंगे।”
धनखड़ का अब तक का राजनीतिक और संवैधानिक योगदान
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक और संवैधानिक योगदान उल्लेखनीय रहा है। वे 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने थे और राज्यसभा के सभापति के रूप में अपनी भूमिका में उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण निर्णयों का संचालन किया। अपनी निष्पक्षता, स्पष्ट वक्तव्य और संसद में मर्यादा कायम रखने के लिए वे जाने जाते रहे।
उनका इस्तीफा ऐसे समय आया है जब संसद के मानसून सत्र की तैयारियां चल रही थीं। ऐसे में राज्यसभा के कामकाज पर कुछ समय के लिए प्रभाव जरूर पड़ेगा, लेकिन संविधान के तहत तय प्रक्रिया से जल्द ही नए उपराष्ट्रपति का चुनाव संपन्न होगा।
जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना भारतीय राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम है। हालांकि स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना उनका व्यक्तिगत और सराहनीय निर्णय है, लेकिन उनके इस्तीफे के बाद राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्थाओं को सक्रिय किया गया है। अब देश को जल्द ही एक नए उपराष्ट्रपति का चयन करना होगा, जो लोकतंत्र की इस संवैधानिक परंपरा को आगे बढ़ाएगा।

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