
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को लेकर विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि इस प्रक्रिया के जरिये वोटों की चोरी की पूरी तैयारी हो रही है और यह लोकतंत्र के खिलाफ एक साजिश है।
तेजस्वी ने साफ कहा-“जब बेईमानी ही करना है, लोकतंत्र को समाप्त करना है, तो चुनाव बहिष्कार भी एक विकल्प है।”
चुनाव आयोग भाजपा का हिस्सा
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग अब भाजपा का ही एक हिस्सा बनकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा- “लाखों वोटरों के नाम काट दिए गए हैं, और सदन में इस पर खुलेआम झूठ बोला गया। अगर हम हार से डरते तो क्या बार-बार चुनाव लड़ते?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब मृतकों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं — यह एक नियमित प्रक्रिया है — लेकिन इस बार यह काम पारदर्शिता के बिना और साजिशन किया जा रहा है।
एसआईआर को लेकर ‘असली खेल’ की आशंका
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की मंशा पर संदेह जताते हुए कहा कि “1 अगस्त के बाद असली खेल शुरू होगा।” उनका मानना है कि जिन बूथों पर विपक्ष मजबूत है, वहां मतदाताओं के नाम जानबूझकर काटे जा रहे हैं, ताकि सत्ताधारी दल को फायदा मिल सके। उन्होंने कहा- “जैसे हमें पता है कि हमारा कौन सा बूथ मजबूत है, वैसे ही उन्हें भी पता है। यही कारण है कि वहां सबसे ज्यादा गड़बड़ी हो रही है।”
क्या है चुनाव आयोग का दावा?
चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर का उद्देश्य वोटर लिस्ट को स्वच्छ और पारदर्शी बनाना है। आंकड़ों के मुताबिक:—-
अब तक 98.01% मतदाता कवर किए जा चुके हैं
20 लाख मृतक, 28 लाख प्रवासी, और 7 लाख दोहरे नाम पाए गए हैं
1 लाख मतदाताओं का कोई पता नहीं चल पा रहा
15 लाख फॉर्म अब तक वापस नहीं मिले हैं
कुल 7.17 करोड़ मतदाताओं में 90.89% के फॉर्म डिजिटाइज हो चुके हैं
आयोग का दावा है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से न छूटे और कोई अयोग्य न जुड़े, इसी उद्देश्य से यह व्यापक प्रक्रिया अपनाई गई है।
सभी प्रमुख दलों को दी गई जानकारी
एसआईआर के प्रथम चरण में गलत रूप से सम्मिलित मतदाताओं की सूची 20 जुलाई को सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों के माध्यम से 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट्स को सौंपी जा चुकी है। इसके जरिए राजनीतिक दल खुद भी सूची की जांच कर सकते हैं।
तेजस्वी का फ्यूचर प्लान: ‘जनता से लेंगे राय’
तेजस्वी यादव ने कहा है कि वो इस मुद्दे पर जनता, पार्टी कार्यकर्ताओं और महागठबंधन के अन्य दलों से चर्चा करेंगे। उनका इशारा साफ है कि अगर वोटिंग प्रक्रिया में भरोसा नहीं रहा तो वे चुनाव बहिष्कार जैसे कठोर कदम पर भी विचार कर सकते हैं।
तेजस्वी यादव का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं बल्कि आने वाले चुनावों की रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। विपक्ष जहां चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है, वहीं आयोग पारदर्शिता का दावा कर रहा है। ऐसे में अब नजर इस बात पर है कि क्या तेजस्वी वाकई चुनाव बहिष्कार की ओर बढ़ेंगे, या यह सरकार और आयोग पर दबाव बनाने की रणनीति है।

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