
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र के अहिल्यानगर (पहले अहमदनगर) में ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर राज्य की भाजपा-समर्थित सरकार पर जमकर निशाना साधा है। माहौल बिगड़ने के बाद प्रशासन ने भले ही उनकी प्रस्तावित सभा की अनुमति रद्द कर दी थी, लेकिन ओवैसी के अहिल्यानगर पहुँचने पर उनके तेवर तल्ख रहे। उन्होंने राज्य में बिगड़ते सामाजिक और राजनीतिक माहौल के लिए सीधे तौर पर भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कई ज्वलंत मुद्दों पर सरकार की नीयत और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
‘आई लव मोहम्मद’ विवाद: अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सवाल
अहिल्यानगर में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखी टी-शर्ट पहनने को लेकर हुए विवाद के बाद इलाके में पथराव और तनाव की घटनाएं सामने आई थीं। इसी पृष्ठभूमि में बोलते हुए ओवैसी ने अभिव्यक्ति की आज़ादी को केंद्र में रखा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब भाजपा तय करेगी कि किसको ‘लव’ (प्यार) लिखना है और किसको नहीं?
ओवैसी ने तर्क दिया कि देश की लगभग 98 प्रतिशत आबादी किसी न किसी धर्म को मानती है, और अपने विश्वास या धर्म को प्यार या सम्मान के साथ व्यक्त करना एक सामान्य प्रक्रिया है। उन्होंने तीखे शब्दों में पूछा, “अगर कोई इसे प्यार से व्यक्त करता है, तो इस पर नफरत या हिंसा की धारणा क्यों बनाई जाती है?” उन्होंने साफ किया कि किसी भी व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर राजनीतिक दलों को फैसला सुनाने का अधिकार नहीं होना चाहिए। उनके अनुसार, भाजपा अपने राजनीतिक हित साधने और ध्रुवीकरण करने के लिए जानबूझकर ऐसे हालात पैदा कर रही है, जिससे राज्य का सामाजिक ताना-बाना खराब हो रहा है।
किसानों की अनदेखी और बाढ़ राहत पर सरकार की घेराबंदी
ओवैसी ने अहिल्यानगर के किसानों और राज्य की गंभीर बाढ़ समस्या पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि राज्य में लगातार बारिश और बाढ़ के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं, लेकिन सरकार केवल घोषणाएँ करके अपना पल्ला झाड़ रही है।
उन्होंने माँग की कि किसानों को तत्काल कर्जमाफी और पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए। ओवैसी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब प्राकृतिक आपदाएं इतनी गंभीर होती हैं और किसान संकट में होते हैं, तब प्रशासन को केवल औपचारिकता पूरी नहीं करनी चाहिए, बल्कि त्वरित और ठोस कदम उठाने चाहिए। उनके अनुसार, सरकार की प्राथमिकता राजनीतिक ड्रामा रचने की बजाय आम जनता और किसानों की समस्याओं को हल करना होना चाहिए।
न्यायपालिका और दलित समुदाय का अपमान
ओवैसी ने हाल ही में चीफ जस्टिस से दुर्व्यवहार की घटना पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे सिर्फ एक व्यक्ति या संस्था का अपमान मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह घटना संविधान, न्याय व्यवस्था और पूरे दलित समुदाय का अपमान है।
ओवैसी ने आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाएँ देश में गहरी पैठ बना चुकी जातिवादी सोच को दर्शाती हैं, और सरकार को ऐसी मानसिकता के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के साथ ऐसा व्यवहार देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर एक धब्बा है।
सोनम वांगचुक का मुद्दा और धारा 370 की गिरफ्तारी
जम्मू-कश्मीर के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक से जुड़े मुद्दे पर भी ओवैसी ने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि जो लोग न्याय या अपने अधिकारों की माँग कर रहे हैं, उनकी बात तुरंत सुनी जानी चाहिए और उनकी माँगें पूरी की जानी चाहिए।
उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय हुई गिरफ्तारियों का हवाला दिया और कहा कि उस वक्त कई प्रतिष्ठित और सम्मानित लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जो पूरी तरह से गलत था। ओवैसी ने स्पष्ट किया कि “अगर कोई आज सरकार की नीतियों के खिलाफ कुछ कह रहा है, तो वह सरकार की गलत नीतियों और उपेक्षा की वजह से कह रहा है।”
ओवैसी का यह आक्रामक दौरा और बयानबाजी महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक माहौल पर तनाव बढ़ा सकते हैं। उनकी माँगों और आरोपों ने राज्य सरकार को किसानों की समस्या, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक सद्भाव जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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