
उत्तर प्रदेश में मंत्रियों और विधायकों के बाद अब लखनऊ की मेयर सुषमा खरकवाल ने भी सरकारी अधिकारियों के कामकाज के रवैये पर कड़े सवाल उठाए हैं। मेयर ने आरोप लगाया है कि कई अधिकारी काम से जी चुराते हैं और अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि अगर अधिकारियों की यह नकारात्मक कार्यशैली नहीं सुधरी, तो वह सीधे मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत करेंगी।
औचक निरीक्षण में खुली पोल: गायब मिले अफसर, परेशान दिखे लोग
मेयर सुषमा खरकवाल ने गुरुवार को नगर निगम कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि कई अधिकारी अपने कार्यालयों से नदारद थे। उनकी अनुपस्थिति में, अपनी पेंशन के लिए भटक रहे लोग परेशान नजर आए। ये लोग पिछले दो साल से अपनी पेंशन का इंतजार कर रहे थे और बार-बार नगर निगम के चक्कर काट रहे थे, लेकिन कोई भी अधिकारी उनकी मदद के लिए मौजूद नहीं होता था।
निरीक्षण के दौरान मेयर ने बताया कि उन्हें पिछले कुछ दिनों से लगातार फोन आ रहे थे कि लोग जब भी नगर निगम आते हैं, अधिकारी अपनी सीट पर नहीं मिलते, जिससे उनके काम अटके रहते हैं। उन्होंने कहा, “आज जब मैंने दौरा किया, तो नगर आयुक्त के अलावा चार अन्य अधिकारी अपनी कुर्सी पर नहीं मिले। यहां तक कि उनके निजी सचिव भी कार्यालय में नहीं थे।” मेयर ने इन लोगों की परेशानी को देखकर निराशा व्यक्त की और कहा कि अधिकारियों का यह रवैया बिल्कुल अस्वीकार्य है।
मेयर ने दिया कड़ा संदेश: ‘चुप नहीं बैठूंगी’
सुषमा खरकवाल ने कहा कि वह इस मामले में चुप नहीं बैठेंगी। उन्होंने तुरंत नगर आयुक्त को एक विस्तृत पत्र भेजने का फैसला किया है, जिसमें उन्होंने उन गायब अधिकारियों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है। पत्र में पूछा गया है कि ये अधिकारी कहां थे और उनके कामकाजी रवैये पर जवाब मांगा गया है।
मेयर ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर अधिकारियों का यही रवैया रहा तो वह सीधे मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगी और प्रशासनिक स्तर पर कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगी। उन्होंने कहा कि जनता के प्रतिनिधि के तौर पर उनकी यह जिम्मेदारी है कि वह जनता की समस्याओं का समाधान कराएं और अधिकारियों की जवाबदेही तय करें।
यह घटना दर्शाती है कि राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर उच्च स्तर पर भी चिंताएं हैं। इससे पहले कई मंत्री और विधायक भी अधिकारियों के ढुलमुल रवैये की शिकायत कर चुके हैं। हाल के दिनों में ऐसी खबरें आई हैं, जहां मंत्रियों ने अपने ही विभाग के अधिकारियों के काम से नाखुशी जाहिर की है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए भी एक चुनौती है, जो हमेशा सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बात करते हैं।
मेयर सुषमा खरकवाल का यह कदम प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। उन्होंने यह जता दिया है कि वह जनता की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करेंगी और हर हाल में उनके लिए न्याय सुनिश्चित करेंगी। उनका मानना है कि जब तक अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं लेंगे, तब तक सुशासन का सपना अधूरा ही रहेगा। अब देखना यह है कि मेयर की इस शिकायत के बाद प्रशासन स्तर पर क्या कार्रवाई होती है और क्या अधिकारियों के रवैये में कोई सुधार आता है।
यह खबर इस बात का संकेत है कि जनता के प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच काम को लेकर एक खाई है, जिसे भरने की जरूरत है।

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