
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव का बिगुल बज चुका है, और इसी के साथ छात्र राजनीति के दो प्रमुख दल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने गुरुवार शाम को अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। 18 सितंबर को होने वाले इस चुनाव में दोनों ही दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतर चुके हैं।
एबीवीपी की टीम तैयार: विकास और छात्र कल्याण का एजेंडा
एबीवीपी ने अपने केंद्रीय पैनल में अनुभवी और युवा चेहरों का मिश्रण पेश किया है। संगठन ने अध्यक्ष पद के लिए आर्यन मान को उम्मीदवार बनाया है, जो हरियाणा के बहादुरगढ़ से हैं और हंसराज कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। वर्तमान में वे लाइब्रेरी साइंस के छात्र हैं। आर्यन ने विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के विरोध और बुनियादी सुविधाओं के विकास जैसे आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई है।
उपाध्यक्ष पद के लिए हरियाणा के ही गोविंद तंवर को चुना गया है, जो दयाल सिंह कॉलेज से स्नातक हैं और वर्तमान में बौद्ध अध्ययन विभाग में एमए के छात्र हैं। वे बीते चार वर्षों से एबीवीपी की विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं।
सचिव पद की जिम्मेदारी दिल्ली के कुणाल चौधरी को दी गई है। पीजीडीएवी कॉलेज से स्नातक और इसी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके कुणाल, बौद्ध अध्ययन विभाग में परास्नातक के छात्र हैं। उन्होंने अपने कॉलेज में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी है।
सबसे खास बात यह है कि संयुक्त सचिव पद के लिए बिहार की दीपिका झा को उम्मीदवार बनाया गया है। दीपिका, जो लक्ष्मीबाई कॉलेज से स्नातक हैं और वर्तमान में बौद्ध अध्ययन विभाग में छात्रा हैं, ने एबीवीपी के सामाजिक प्रकल्पों ‘स्टूडेंट्स फॉर सेवा’, ‘बस्ती की पाठशाला’ और ‘ऋतुमति अभियान’ में सक्रिय रूप से भाग लिया है। दीपिका ने टिकट मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए विश्वास जताया कि एबीवीपी इस चुनाव में 4-0 से जीत हासिल करेगी। उन्होंने विश्वविद्यालय बसों और मेट्रो रियायती पास को अपना प्रमुख मुद्दा बताया और कहा कि हर कॉलेज की छात्रा को एनसीसी में भाग लेना चाहिए।

एनएसयूआई ने महिला सशक्तिकरण पर दिया जोर
वहीं, दूसरी ओर एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद के लिए छात्रा जोश्लिन नंदिता चौधरी को उम्मीदवार बनाकर एक साहसी और प्रगतिशील कदम उठाया है। संगठन का कहना है कि यह निर्णय छात्र राजनीति में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उपाध्यक्ष पद के लिए राहुल झांसला, सचिव पद के लिए कबीर और सह सचिव पद के लिए लव कुश बधाना को मैदान में उतारा गया है।
एनएसयूआई ने अपने चुनावी अभियान का केंद्र ‘असली परिवर्तन’ को बनाया है। उनका कहना है कि वे उन समस्याओं को उजागर करेंगे, जिन्हें वर्तमान शासन मंडल अनदेखा कर रहा है। इनमें बुनियादी ढांचे की कमी, असुरक्षित परिसर, मासिक अवकाश की मांग, सामाजिक न्याय की लड़ाई और अयोग्य आरएसएस समर्थित शिक्षकों की नियुक्ति का विरोध शामिल है।
प्रमुख चुनावी मुद्दे: मेट्रो पास और हॉस्टल निर्माण
दोनों ही संगठनों ने छात्रों के प्रमुख मुद्दों को अपने एजेंडे में शामिल किया है। एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार आर्यन मान ने मेट्रो रियायती पास को अपना सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बताया। उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार गोविंद तंवर ने नए हॉस्टलों के निर्माण और अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए सप्लीमेंट्री परीक्षा शुरू कराने पर जोर दिया। सचिव पद के उम्मीदवार कुणाल चौधरी ने ‘एक पाठ्यक्रम एक शुल्क’, खेल उपकरणों की कमी, कैंटीन में शुद्ध भोजन और बाहर से आने वाले छात्रों के लिए रूम रेंट नियंत्रण समिति बनाने का वादा किया।
डूसू चुनाव हमेशा से ही दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना रही है, जो न केवल छात्र नेताओं का चुनाव करती है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा भी तय करती है। अब जबकि दोनों प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, मुकाबला और भी रोमांचक हो गया है। 18 सितंबर को होने वाले चुनाव में छात्र किस दल को अपना समर्थन देते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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