
कथावाचक और बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने एक बार फिर बुंदेलखंड को एक अलग राज्य बनाने की जोरदार वकालत की है। उनका मानना है कि अगर बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा मिलता है, तो इस क्षेत्र के विकास, प्रगति और समृद्धि को एक नई गति मिलेगी। मध्य प्रदेश के छतरपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने अपनी बात रखी।
बुंदेलखंड राज्य की वकालत
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि बुंदेलखंड के विकास के लिए एक अलग राज्य का होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “निर्णय लेने के लिए देश की अपनी सरकार और कानून हैं। मुझे यकीन है कि सत्ता में बैठे बुद्धिमान लोग इस पर विचार करेंगे और उचित फैसला लेंगे।” उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब बुंदेलखंड के लोगों द्वारा एक अलग राज्य की मांग लंबे समय से की जा रही है। यह क्षेत्र खनिज संपदा और ऐतिहासिक धरोहरों से भरपूर होने के बावजूद विकास के कई पैमानों पर पिछड़ा हुआ है।
सड़कों पर घूमती गायों पर चिंता
धीरेंद्र शास्त्री ने बुंदेलखंड की सड़कों पर घूमती आवारा गायों की समस्या पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश और हिंदुओं के लिए दुर्भाग्य की बात है कि जिसे हम मां कहते हैं, वह सड़कों पर घूम रही है। यह दृश्य बेहद कष्टदायी है।” उन्होंने इस समस्या को तुरंत हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि सरकारों को हर ब्लॉक या हर जिले में 5-5 गौशालाओं का निर्माण कराना चाहिए, जिनमें कम से कम 5 से 10 हजार तक गौवंशों को रखा जा सके। अगर यह व्यवस्था की जाती है, तो सड़कों पर आवारा गायें नजर नहीं आएंगी और उनका उचित रखरखाव भी हो पाएगा।”

‘राम से ही राष्ट्र, राष्ट्र से ही राम’
धीरेंद्र शास्त्री ने श्री अन्नपूर्णा रामलीला समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। उन्होंने इस दौरान आगामी 7 नवंबर से 16 नवंबर तक होने वाली रामलीला पदयात्रा की जानकारी दी। उन्होंने राष्ट्र और भगवान राम के बीच के गहरे संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा, “राम से ही राष्ट्र है और राष्ट्र से ही प्रभु श्री राम हैं। राम ही राष्ट्र हैं और राष्ट्र ही प्रभु श्री राम हैं।” उन्होंने सभी भारतीयों से राष्ट्रभक्ति के प्रति समर्पण दिखाने का आह्वान किया।
इसके अलावा, उन्होंने एक अनूठी पहल का सुझाव देते हुए कहा कि देश के सभी मंदिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों और अन्य धार्मिक स्थलों में हफ्ते में कम से कम एक बार राष्ट्रगान गाया जाना चाहिए। उनका मानना है कि ऐसा करने से लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत रहेगी और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध बना रहेगा।
उन्होंने छतरपुर की सनातन संस्कृति की सराहना की, जहां के लोग कट्टर सनातनी हैं और सनातन धर्म के कार्यों में निरंतर लगे रहते हैं। उन्होंने श्री अन्नपूर्णा रामलीला समिति को 75वें अमृत महोत्सव के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद भी दिया। धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान राजनीतिक और सामाजिक दोनों हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।

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