
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं, लेकिन इस बीच विपक्षी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। उनकी एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की गई, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पटना के गांधी मैदान थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
यह घटना तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के दौरान महुआ के गांधी मैदान में हुई एक जनसभा में हुई। भाजपा नेता कृष्णा कुमार सिंह ने पुलिस को संबोधित एक लिखित शिकायत में कहा कि उन्होंने 20 सितंबर को रात करीब 10 बजे सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा। इस वीडियो में तेजस्वी यादव और महुआ के विधायक मुकेश कुमार रौशन की मौजूदगी में प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक नारे लगाए गए।
शिकायत पत्र में कृष्णा कुमार सिंह ने लिखा, “यह कृत्य अपने आप में बेहद अशोभनीय है। महुआ में हुई जनसभा में देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी टिप्पणी करना एक गंभीर अपराध है।” उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान से देश के 140 करोड़ लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। कृष्णा कुमार सिंह ने पुलिस से इस पूरे मामले की गहन जांच करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
भाजपा का तीखा हमला
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव के मंच से, उनकी उपस्थिति में एक बार फिर प्रधानमंत्री के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की गई है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और लोकतंत्र का घोर अपमान है।”
सम्राट चौधरी ने सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या यही विपक्ष की राजनीति है? क्या मां-बहनों का अपमान उनका संस्कार और हथियार बन गया है? उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ऐसी ‘गंदी राजनीति’ को अच्छी तरह समझ रही है और आगामी चुनाव में इसका लोकतांत्रिक तरीके से जवाब देगी। उनका इशारा अमर्यादित भाषा के बढ़ते चलन और राजनीतिक मर्यादा के पतन की ओर था।
राजनीतिक मर्यादा का गिरता स्तर
यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई है। इससे पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान भी इसी तरह की अपमानजनक नारेबाजी हुई थी। उस घटना के बाद राहुल गांधी और ‘इंडिया’ गठबंधन की राष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी। इस ताजा घटना ने एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में मर्यादा के गिरते स्तर पर बहस छेड़ दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव के दौरान प्रतिद्वंद्वी नेताओं पर व्यक्तिगत हमले करना और अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करना राजनीति में एक खतरनाक चलन बनता जा रहा है। यह प्रवृत्ति न केवल राजनीतिक संवाद को कमजोर करती है, बल्कि युवाओं के लिए भी गलत उदाहरण पेश करती है। इस तरह के बयान नेताओं की हताशा को भी दर्शाते हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप का स्तर काफी नीचे जा सकता है। देखना यह होगा कि भाजपा की शिकायत पर पुलिस क्या कार्रवाई करती है और क्या इससे आगामी चुनावी माहौल पर कोई असर पड़ता है।

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