
आज से कुछ साल पहले, भारत में एक साधारण सी बीमारी भी किसी परिवार को गरीबी के गर्त में धकेल सकती थी। कर्ज का डर अक्सर बीमारी से बड़ा होता था, और लाखों लोग इलाज कराने के बजाय चुपचाप कष्ट सहने को मजबूर होते थे। यह उस पुराने भारत की कहानी थी, जहाँ एक किसान की महीने की 5000 रुपये की कमाई पर एक स्कूल शिक्षिका पत्नी का ब्रेन ट्यूमर का इलाज कराना लगभग असंभव था। त्रिपुरा की स्कूल शिक्षिका शिप्रा और उनके पति शंकर के लिए यह एक कड़वा सच था। 50,000 रुपये की सर्जरी का खर्च उनके लिए हिमालय जैसा विशाल था। उनके पास या तो जमीन बेचने या भारी कर्ज लेने का ही विकल्प बचा था। यह था पुराना भारत, लेकिन आज परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। एक नए भारत का उदय हो रहा है, जो ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के सिद्धांत पर काम कर रहा है।
आशा का नया सूर्योदय
वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ की शुरुआत की। यह योजना करोड़ों परिवारों के लिए एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच बनकर सामने आई है। इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को सालाना ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा मिलता है, जिससे उन्हें वित्तीय संकट के डर के बिना जीवन रक्षक उपचार मिल पाता है। यह सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि यह करोड़ों लोगों के लिए सम्मान और गरिमा का वादा है।

शिप्रा के लिए भी इस योजना ने आशा की किरण जगाई। ‘आयुष्मान भारत’ की ‘पोर्टेबिलिटी’ सुविधा ने उन्हें त्रिपुरा से बेंगलुरु तक यात्रा करने में मदद की, जहाँ उनकी जीवन रक्षक ब्रेन ट्यूमर सर्जरी सफलतापूर्वक हुई। यह पूरी प्रक्रिया ‘कैशलेस’ और ‘पेपरलेस’ थी, जिससे शिप्रा बिना किसी चिंता के अपने इलाज पर ध्यान केंद्रित कर सकीं। यही है आयुष्मान भारत की ताकत – बेबसी को सशक्तीकरण में बदलने की ताकत।
आंकड़े कर रहे हैं पुष्टि
इस योजना की सफलता सिर्फ व्यक्तिगत कहानियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आँकड़ों से भी प्रमाणित होती है। अगस्त 2025 तक, इस योजना के तहत 10.30 करोड़ से अधिक मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की मंजूरी दी गई, जिससे परिवारों को ₹1.48 लाख करोड़ से अधिक की वित्तीय सुरक्षा मिली है। अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में यह वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि लाखों लोगों के मन से वित्तीय बर्बादी का डर खत्म हुआ है और उन्हें समय पर गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल रहा है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में किए गए एक विश्लेषण से भी यह साबित हुआ है कि इस योजना को लागू करने वाले राज्यों में शिशु मृत्यु दर और पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में तेज गिरावट देखी गई है। यह दर्शाता है कि यह योजना केवल वित्तीय सुरक्षा नहीं है, बल्कि एक जीवन-रक्षक सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप भी है।

विस्तार और समावेशी दृष्टिकोण
‘आयुष्मान भारत’ एक गतिशील पहल है, जो नए भारत की उभरती आवश्यकताओं के अनुरूप लगातार बदलती और विस्तारित होती रही है। जनवरी 2022 में इस योजना के लाभार्थियों का दायरा बढ़ाकर 12 करोड़ परिवारों को इसके अंतर्गत लाया गया। इसके बाद, मार्च 2024 में 37 लाख आशा कार्यकर्ता, आँगनबाड़ी कार्यकर्ता और उनके परिवारों को भी इस योजना में शामिल किया गया।
संभवतः सबसे महत्वपूर्ण विस्तार 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा का प्रावधान है। 29 अक्टूबर, 2024 को घोषित इस पहल के तहत, उन्हें एक अलग ‘आयुष्मान वय वंदना कार्ड’ दिया जाता है, जो उनके बुढ़ापे में सम्मान और देखभाल का वादा है। यह सुनिश्चित करता है कि हमारे बुजुर्ग, चाहे वे किसी भी आर्थिक वर्ग के हों, आर्थिक चिंता से मुक्त होकर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर सकें। इसी तरह, ‘गिग’ और ‘प्लेटफॉर्म वर्कर्स’ को भी इस योजना में शामिल करना एक ऐतिहासिक कदम है, जो हमारी अर्थव्यवस्था में उनके बढ़ते योगदान को पहचान देता है और उन्हें एक औपचारिक सामाजिक सुरक्षा कवच प्रदान करता है।

डिजिटल शक्ति और पारदर्शिता
यह योजना एक शक्तिशाली आईटी प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जो लाभार्थियों की पहचान, दावों की प्रक्रिया और धोखाधड़ी की पहचान को संभव बनाता है। इस प्रणाली ने धोखाधड़ी को 0.33 प्रतिशत तक सीमित करने में मदद की है, और दोषी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की गई है। वर्तमान में, देश के 32,913 अस्पताल, जिनमें 15,103 निजी अस्पताल शामिल हैं, इस नेटवर्क का हिस्सा हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की यह साझेदारी हमारे स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत कर रही है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ‘आयुष्मान भारत’ के प्रभाव को मान्यता मिली है। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि इस योजना के लागू होने के बाद कैंसर के मरीजों में 30 दिनों के भीतर इलाज शुरू करने में 90 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यह सबसे बड़ा प्रमाण है कि वित्तीय बाधाओं को दूर करने से समय पर निदान और जीवन-रक्षक इलाज संभव हो रहा है।
‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ एक स्वस्थ, मजबूत और सही मायने में विकसित भारत के निर्माण के हमारे संकल्प का प्रमाण है। इस योजना ने उस राष्ट्र को रूपांतरित कर दिया है, जो कभी स्वास्थ्य खर्चों के बोझ से दबा हुआ था। आज यह योजना करोड़ों भारतीयों को गरिमा और देखभाल का आश्वासन प्रदान कर रही है। यह सिर्फ एक योजना नहीं है, बल्कि एक राष्ट्र के रूप में हमारे सामूहिक प्रयास, संवेदनशीलता और दूरदर्शिता का प्रतीक है।

नेता और नेतागिरि से जुड़ी खबरों को लिखने का एक दशक से अधिक का अनुभव है। गांव-गिरांव की छोटी से छोटी खबर के साथ-साथ देश की बड़ी राजनीतिक खबर पर पैनी नजर रखने का शौक है। अखबार के बाद डिडिटल मीडिया का अनुभव और अधिक रास आ रहा है। यहां लोगों के दर्द के साथ अपने दिल की बात लिखने में मजा आता है। आपके हर सुझाव का हमेशा आकांक्षी…



