
केंद्र सरकार की गरीबों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना में मुफ्तखोरों ने बड़ी सेंध लगा दी है। एक चौंकाने वाले खुलासे में, ऐसे लाखों अपात्र लोग सामने आए हैं जो महंगे वाहन रखते हैं, बड़ी खेती की ज़मीन के मालिक हैं, और लाखों का सालाना टर्नओवर वाली फर्म चलाते हैं, लेकिन फिर भी हर महीने गरीबों का हक हड़पने के लिए राशन की कतारों में लग रहे हैं।
भारत सरकार द्वारा डाटा मिलान के बाद, इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। पूरे प्रदेश में 16.67 लाख मुफ्तखोरों की पहचान की गई है। अब खाद्य एवं रसद विभाग इन अपात्रों का सत्यापन कर इनके राशन कार्ड निरस्त करने की बड़ी कार्रवाई शुरू कर रहा है।
अपात्रता के चौंकाने वाले आंकड़े
जांच में सामने आया है कि मुफ्त राशन लेने वालों की कतार में वे लोग भी शामिल हैं जो योजना के मानकों को पूरी तरह से तोड़ते हैं:
भारी/मध्यम वाहन मालिक: कार और अन्य बड़े वाहन रखने वाले लोग भी मुफ्त राशन ले रहे हैं।
उच्च आय वर्ग: ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख रुपये सालाना से अधिक आय वाले लोग।
बड़े किसान: पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसान।
उच्च टर्नओवर वाली फर्मों के मालिक: साढ़े छह हजार से अधिक ऐसे अपात्रों ने भी राशन कार्ड बनवा रखे हैं, जिनकी फर्मों का सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपये से अधिक है।
ये अपात्र लोग पात्र गरीबों के हिस्से का राशन हर माह हड़प रहे हैं, जिससे जरूरतमंदों को मिलने वाले लाभ पर सीधा असर पड़ रहा है।

योजना की वर्तमान स्थिति और पात्रता मानक
प्रदेश में वर्तमान में कुल 3.62 करोड़ राशन कार्ड बने हुए हैं, जिनसे 14.68 करोड़ लाभार्थी जुड़े हैं।
पात्र गृहस्थी कार्ड धारक: 3.20 करोड़ से अधिक परिवारों के प्रत्येक सदस्य को पांच किलो राशन प्रति माह दिया जा रहा है।
अंत्योदय कार्ड धारक: 40.82 लाख से अधिक परिवारों को प्रति परिवार 35 किलो राशन प्रति माह दिया जाता है।

राशन कार्ड के पात्रता मानक इस प्रकार हैं:
अंत्योदय राशन कार्ड: यह कार्ड मुख्य रूप से गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को जारी किया जाता है।
पात्र गृहस्थी राशन कार्ड: इसके लिए शहरी क्षेत्र में तीन लाख रुपये सालाना से कम आय और ग्रामीण क्षेत्र में दो लाख रुपये सालाना से कम आय सीमा निर्धारित है, साथ ही कुछ अन्य मानक भी तय किए गए हैं।
16.67 लाख अपात्रों का खुलासा होने के बाद, सरकार का ध्यान अब इस योजना को शुद्ध करने पर है ताकि वास्तविक गरीबों को उनका हक मिल सके। खाद्य एवं रसद विभाग की यह कार्रवाई गरीबों के हक पर सेंध लगाने वालों के खिलाफ एक बड़ी सख्ती मानी जा रही है।

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