
उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण में बंटवारे का मुद्दा गरमा गया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और राज्य के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने इस मसले को लेकर सत्ता के गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
तकरीबन चार साल पहले जिस मुद्दे पर राजभर पिछली एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार से अलग होकर समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ चले गए थे, उसी ओबीसी आरक्षण में बंटवारे की मांग को उन्होंने एक बार फिर हवा दे दी है। राजभर की ओर से लिखे गए पत्र को आगामी 2027 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
दबाव की राजनीति में असहज हुए सहयोगी दल
राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि राजभर की यह चिट्ठी न केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए बल्कि गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों जैसे निषाद पार्टी और अपना दल (एस) को भी असहज कर सकती है।
ओबीसी आरक्षण में बंटवारे की मांग सुभासपा के लिए एक अहम राजनीतिक मुद्दा रहा है। पार्टी लगातार यह आरोप लगाती रही है कि पिछड़े वर्ग की तमाम ऐसी जातियां हैं जो आरक्षण का समुचित लाभ पाने से वंचित हैं। इसलिए, उन्हें भी आरक्षण का सही लाभ दिलाने के लिए पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को उप-श्रेणियों में विभाजित (बंटवारा) किया जाना चाहिए।
चुनाव से पहले मुद्दे को उठाने के निहितार्थ
राजभर द्वारा इस मसले को ऐसे समय में उठाना, जब 2027 के विधानसभा चुनाव की दहलीज पर है, कई सियासी निहितार्थों को जन्म दे रहा है।
पहला निहितार्थ: राजनीतिक विश्लेषकों का एक वर्ग मानता है कि राजभर इस कदम से 2027 के चुनाव से पहले भाजपा पर अपना दबाव बढ़ाना चाहते हैं। उनका मकसद है कि इस दबाव का इस्तेमाल वह आगामी चुनावों में सीट बंटवारे में अपने लिए फायदा सुनिश्चित करने के लिए कर सकें।

दूसरा निहितार्थ: वहीं, कुछ राजनीतिक जानकार इसे एक अलग नजरिए से देख रहे हैं। उनका मानना है कि राजभर इस मुद्दे को उठाकर भाजपा को असहज करके, भविष्य में अपने लिए दूसरे राजनीतिक अवसर तलाशने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। राजभर का अतीत रहा है कि वह गठबंधन बदलने से पहले ऐसे ही संवेदनशील मुद्दों को हवा देते रहे हैं।
2000 से ज्यादा जातियों को नहीं मिल रहा लाभ: अरुण राजभर
सुभासपा के नेता अरुण राजभर ने इस मांग को उचित ठहराते हुए तर्क दिया है कि इस मसले के समाधान के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट बीते साल ही सौंपी जा चुकी है।
उन्होंने दावा किया कि इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पिछड़े वर्ग की 2000 से भी ज्यादा जातियों को आरक्षण का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। अरुण राजभर ने भाजपा पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें पार्टी पर विश्वास है, क्योंकि ओबीसी आयोग बनाना रहा हो या जातिगत जनगणना करवाना, भाजपा ने इस मसले पर हमेशा सकारात्मक रुख दिखाया है।
राजभर की यह नई चाल आगामी दिनों में यूपी की राजनीति में ओबीसी वर्ग की जातियों को साधने की होड़ को तेज कर सकती है, जिससे भाजपा और उसके सहयोगी दलों को एक कठिन राजनीतिक संतुलन साधने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

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