
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव 2025 के मतदान के दौरान, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहा। इस बीच, एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने एनएसयूआई पर तीखा हमला बोला। उन्होंने एनएसयूआई पर मतदान केंद्रों पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया और इसे उसकी “हार की बौखलाहट” बताया।
डॉ. सोलंकी ने कहा कि डूसू चुनाव में एनएसयूआई की हिंसा शर्मनाक है और उनकी हार अब निश्चित है। उन्होंने दावा किया कि “बेबुनियाद और तथ्यहीन आरोपों से छात्रों का जनादेश नहीं बदलेगा।” उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के झूठे विमर्श को पूरी तरह से नकार देगा। यह टिप्पणी एबीवीपी की उस चुनावी रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह राष्ट्रवाद और ‘राष्ट्रविरोधी’ तत्वों के खिलाफ लड़ाई को प्रमुखता देती है।
हिंसा और धांधली के आरोप:
एबीवीपी के महामंत्री ने किरोड़ीमल कॉलेज और हंसराज कॉलेज सहित कई मतदान केंद्रों पर हुई कथित हिंसा की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि एबीवीपी इन घटनाओं में शामिल एनएसयूआई के “गुंडों” के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करती है। सोलंकी ने कहा कि एनएसयूआई की “छटपटाहट और बौखलाहट” यह साबित करती है कि वह इस चुनाव में बुरी तरह से हारने जा रही है।
यह आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तब शुरू हुआ जब एनएसयूआई ने एबीवीपी पर बूथ कैप्चरिंग और मतदाताओं को डराने-धमकाने का आरोप लगाया। एनएसयूआई के मौजूदा डूसू अध्यक्ष रौनक खत्री ने पुलिस को पत्र लिखकर चुनाव प्रक्रिया को रोकने की मांग भी की थी। इसके जवाब में, डॉ. सोलंकी ने एनएसयूआई के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

‘राहुल गांधी का पुराना राग’:
डॉ. वीरेंद्र सोलंकी ने कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस और राहुल गांधी का यह पुराना राग है कि जब चुनाव हारने लगते हैं तो पूरी चुनावी प्रक्रिया पर दोष मढ़ देते हैं, जो कि शर्मनाक है।” सोलंकी ने कहा कि विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र एनएसयूआई को करारा जवाब देंगे। उन्होंने कांग्रेस और उससे संबद्ध लोगों से लोकतंत्र और जनादेश का सम्मान करने का आग्रह किया।
सोलंकी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में ईवीएम पर स्याही लगने के कथित मामले पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखकर एनएसयूआई के झूठ का पर्दाफाश हो जाएगा। यह बयान एबीवीपी की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों का तकनीकी और तथ्यात्मक रूप से जवाब देना चाहती है।
नतीजों का इंतज़ार:
इस पूरे विवाद के बीच, अब सभी की निगाहें शुक्रवार को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं। डूसू चुनाव के परिणाम न केवल इन छात्र संगठनों के भविष्य को तय करेंगे, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में युवा मतदाताओं के रुझान को भी दर्शाएंगे। एबीवीपी अपने राष्ट्रवाद के एजेंडे और ‘छात्र हित’ के मुद्दों के दम पर जीत का दावा कर रही है, जबकि एनएसयूआई ने चुनावों में धांधली और हिंसा का मुद्दा उठाया है।
इस चुनाव में, दोनों छात्र संगठनों ने अपने-अपने प्रचार में छात्रों के भविष्य से जुड़े कई वादे किए। लेकिन मतदान के दौरान हुए आरोप-प्रत्यारोप के कारण यह चुनाव अब केवल छात्रों के मुद्दों तक सीमित न रहकर राजनीतिक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है। अब देखना यह है कि छात्रों का जनादेश किस छात्र संगठन के पक्ष में जाता है और क्या दोनों दल इस जनादेश का सम्मान करेंगे, जैसा कि डॉ. सोलंकी ने अपील की है।

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