
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को सरकार के इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के खिलाफ चलाए जा रहे एक राजनीति से प्रेरित ‘पेड’ सोशल मीडिया अभियान पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि सभी वैज्ञानिक और कानूनी परीक्षणों से यह साबित हो चुका है कि 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित (ई20) पेट्रोल पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने एथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल को किसानों की आय बढ़ाने, प्रदूषण कम करने और देश के आर्थिक विकास को गति देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि निराधार अफवाहों और झूठे दावों के जरिए इस कार्यक्रम को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
इथेनॉल मिश्रण से किसानों को फायदा
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि इथेनॉल उत्पादन ने सीधे तौर पर किसानों को लाभ पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि गन्ना, मक्का और चावल जैसी फसलों से इथेनॉल के उत्पादन से इन फसलों की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे किसानों की आय में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने विशेष रूप से मक्के का उदाहरण देते हुए कहा कि जब से इथेनॉल उत्पादन में इनपुट के रूप में मक्के के उपयोग की अनुमति मिली है, इसकी बढ़ती मांग और फसल की कीमत में वृद्धि के कारण किसानों ने 45,000 करोड़ रुपए कमाए हैं। यह आंकड़ा इस कार्यक्रम की सफलता और किसानों पर इसके सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।
प्रदूषण में कमी और वैश्विक मान्यता
इथेनॉल मिश्रण का एक और महत्वपूर्ण लाभ वायु प्रदूषण में कमी है, जिसे गडकरी ने देश के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्र अकेले 40 प्रतिशत वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, जिससे स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियां बढ़ रही हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इथेनॉल-मिश्रण ने प्रदूषण को कम करने में मदद की है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की यह सफलता जी20 सम्मेलन में भी एक चर्चा का विषय थी, जिससे पता चलता है कि इस कार्यक्रम की जागरूकता और इसके सकारात्मक परिणाम दुनिया भर में फैल गए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने भी दी हरी झंडी
गडकरी ने अपने तर्क को कानूनी वैधता प्रदान करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी ई20 ईंधन की वैधता और सुरक्षा को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में यह दावा किया गया था कि भारतीय सड़कों पर चलने वाले अधिकांश वाहन ई20 ईंधन के अनुकूल नहीं हैं, जिससे सामग्री के खराब होने, सुरक्षा संबंधी खतरे, माइलेज में कमी और बीमा दावों के अस्वीकार होने का खतरा बढ़ जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका को खारिज करते हुए सरकार के रुख का समर्थन किया, जिसमें गन्ना किसानों को हुए लाभों और ई20 कार्यक्रम के परिणामस्वरूप देश के तेल आयात में कमी पर प्रकाश डाला गया था। यह फैसला सरकार की स्थिति को और मजबूत करता है।
इंजन को नुकसान और वारंटी की चिंताएं निराधार
केंद्रीय मंत्री ने इंजन की क्षति और वारंटी संबंधी समस्याओं को लेकर हाल की आशंकाओं को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ये सभी आशंकाएं झूठी साबित हुई हैं। गडकरी ने जोर देकर कहा, “सभी परीक्षण एजेंसियों ने पुष्टि की है कि कार्यान्वयन में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है।” उनके इस बयान से वाहन मालिकों के बीच फैली गलत धारणाएं दूर होने की उम्मीद है।
अंत में, गडकरी ने ऑटो उद्योग से वाहन स्क्रैपिंग नीति का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नई कारों की खरीद पर छूट देकर उद्योग को इस नीति को बढ़ावा देना चाहिए। इससे एक ओर जहां प्रदूषण में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर ऑटो निर्माताओं को बिक्री बढ़ने से लाभ होगा।

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