
उत्तराखंड के गोपेश्वर महाविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव को लेकर सोमवार को भारी हंगामा हुआ, जिसके बाद कॉलेज प्रशासन को चुनाव को अगली सूचना तक स्थगित करना पड़ा। कांग्रेस के छात्र संगठन, एनएसयूआई ने कॉलेज प्रशासन और विश्वविद्यालय पर सत्ताधारी दल के राजनीतिक दबाव में काम करने का गंभीर आरोप लगाया है।
रिजल्ट में हेरफेर का आरोप
पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब छात्रसंघ चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म की बिक्री शुरू हुई। एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के दावेदार किशन ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय द्वारा जारी उनके रिजल्ट में हेरफेर किया गया है। किशन के अनुसार, वह पहले से ही पास थे और उन्होंने एमए प्रथम वर्ष में दाखिला भी ले लिया था, लेकिन नामांकन से ठीक एक दिन पहले रातोंरात उनका रिजल्ट बदलकर उन्हें फेल घोषित कर दिया गया, जिससे वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गए।
इस फैसले से नाराज एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच तीखी बहस भी हुई। स्थिति को काबू में करने के लिए अपर जिलाधिकारी और सीओ चमोली को मौके पर हस्तक्षेप करना पड़ा। छात्रों के बढ़ते आक्रोश और हंगामे को देखते हुए, कॉलेज प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से छात्रसंघ चुनाव को स्थगित करने का निर्णय लिया।
एनएसयूआई ने लगाए पक्षपात के आरोप
एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष विपिन फर्स्वाण ने कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब सत्ताधारी दल के दबाव में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एनएसयूआई के उम्मीदवारों को जानबूझकर नामांकन फॉर्म नहीं दिए गए, जबकि वे समय पर लाइन में खड़े थे। इसके विपरीत, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवारों को आसानी से फॉर्म दिए गए, जो पूरी तरह से अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण है।

एनएसयूआई उम्मीदवार तनिषा ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह कृत्य न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, बल्कि छात्रों के अधिकारों का भी हनन है। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन पारदर्शी चुनाव नहीं कराना चाहता और राजनीतिक दबाव में आकर काम कर रहा है।
कॉलेज प्रशासन ने दी सफाई
मामले पर अपनी बात रखते हुए प्राचार्य प्रो. एमपी नगवाल ने हंगामे पर खेद जताया। उन्होंने कहा कि कॉलेज प्रशासन ने विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए रिजल्ट के आधार पर ही निर्णय लिया है। उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि मामले की पूरी तरह से जांच की जाएगी और पारदर्शिता बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और उसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इस घटना ने उत्तराखंड के छात्र राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। जहां एनएसयूआई ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है, वहीं कॉलेज प्रशासन जांच का आश्वासन दे रहा है। यह देखना बाकी है कि इस पूरे मामले में आगे क्या होता है और छात्रों के भविष्य के साथ यह राजनीतिक दांव-पेंच कब तक चलता रहेगा।

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