
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को महिलाओं के सशक्तिकरण पर ज़ोर देते हुए ‘पार्षद पति’, ‘सरपंच पति’ जैसी प्रथाओं को ख़त्म करने का आह्वान किया। गुना संसदीय क्षेत्र के अशोकनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने ‘रेवा शक्ति अभियान’, ‘हृदय योजना’ और ‘एकल सेवा पोर्टल’ की शुरुआत की। सिंधिया ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकार ख़ुद हासिल करने होंगे और उन्हें दूसरी पंक्ति में धकेलने की कोशिशों का विरोध करना होगा।
‘महिलाएं आगे आएं, पुरुष उन पर काबिज होने की कोशिश करते हैं’
केंद्रीय संचार, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री और गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी वर्षों की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि वे लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि महिलाएं समाज की पहली पंक्ति में आएं। उन्होंने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा, “जब महिलाएं प्रथम पंक्ति में आती हैं, तब पुरुष उन पर क़ाबिज़ होने की कोशिश करते हैं।” इसी संदर्भ में उन्होंने ‘पार्षद पति’, ‘अध्यक्ष पति’ और ‘सरपंच पति’ जैसी प्रथाओं को ख़त्म करने की ज़रूरत पर बल दिया। उनका मानना है कि जब तक यह प्रथाएँ मौजूद रहेंगी, महिलाओं को उनका असली हक़ नहीं मिल पाएगा।
सिंधिया ने कहा कि महिलाओं को इन प्रथाओं के ख़िलाफ़ खड़े होकर अपने अधिकारों को अपने हाथों में लेना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे इसी दिशा में निरंतर काम कर रहे हैं। उनके इस बयान को महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने और राजनीतिक व सामाजिक जीवन में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है।
बेटियां बोझ नहीं, वरदान हैं: ‘रेवा शक्ति अभियान’
महिलाओं और बेटियों के महत्व पर ज़ोर देते हुए सिंधिया ने कहा कि बेटी सिर्फ़ परिवार की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि वह पूरे समाज की पहचान है। जब एक बेटी जन्म लेती है, तो वह सिर्फ़ घर का ही नहीं, बल्कि पूरे समाज का भविष्य गढ़ती है। इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने ‘रेवा शक्ति अभियान’ का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य बेटियों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
इस अभियान के अंतर्गत, जिले में सिर्फ़ एक या दो बेटियों वाले परिवारों का पंजीकरण किया जा रहा है। इन परिवारों को विशेष डिजिटल कार्ड दिए जा रहे हैं, जिससे बेटियों को कई तरह की सुविधाएँ मिलेंगी। इनमें शिक्षा शुल्क में छूट, स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिकता, छात्रवृत्ति, किराए में रियायत और सामाजिक सम्मान जैसी सुविधाएँ शामिल हैं। सिंधिया ने कहा कि यह पहल बेटियों को पढ़ाई करने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक मज़बूत मंच प्रदान करेगी।

‘हृदय योजना’ और ‘एकल सेवा पोर्टल’ से सुशासन की नई परिभाषा
सिंधिया ने अशोकनगर में ‘हृदय योजना’ और ‘एकल सेवा पोर्टल’ की भी शुरुआत की। उन्होंने कहा कि ये योजनाएँ क्षेत्र में सुशासन की नई परिभाषा गढ़ेंगी। ‘हृदय योजना’ के तहत, हज़ारों कुपोषित बच्चों और गर्भवती माताओं को सुरक्षित मातृत्व और पोषण सेवाएँ दी जा रही हैं। सिंधिया ने बताया कि अब तक 2100 से ज़्यादा माताओं का पंजीकरण और 2000 बच्चों का कुपोषण प्रबंधन किया जा चुका है।
वहीं, ‘एकल सेवा पोर्टल’ का उद्देश्य सरकारी सेवाओं को एक ही जगह पर उपलब्ध कराकर नागरिकों के जीवन को आसान बनाना है। इन योजनाओं के माध्यम से सिंधिया ने यह साबित करने की कोशिश की है कि भाजपा सरकार सिर्फ़ वादे नहीं करती, बल्कि ज़मीनी स्तर पर काम करती है।
मोदी सरकार की महिला सशक्तिकरण नीतियाँ
सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की तारीफ़ करते हुए कहा कि सरकार पहले दिन से ही ‘नारी शक्ति’ के सशक्तिकरण के लिए समर्पित है। उन्होंने ‘उज्ज्वला योजना’ और ‘ड्रोन दीदी’ जैसी योजनाओं का ज़िक्र किया, जिनसे महिलाएँ आत्मनिर्भर बन रही हैं। ‘ड्रोन दीदी’ योजना के ज़रिए महिलाएँ तकनीक का उपयोग कर खेती-किसानी में हाथ बंटा रही हैं।
सिंधिया के इस दौरे और उनके बयानों ने महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। उनका यह आह्वान कि महिलाएं ख़ुद अपनी लड़ाई लड़ें और ‘पति’ के नाम पर मिलने वाले दिखावटी हक़ को ख़त्म करें, एक क्रांतिकारी संदेश है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके इस आह्वान का मध्य प्रदेश और देश की अन्य महिलाओं पर कितना असर होता है।

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