
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की वरिष्ठ नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर लगाए गए आरोपों का समर्थन किया है। उन्होंने चुनावी डेटा की तत्काल और गहन जांच की मांग की है। सुले ने गुरुवार को कहा कि अगर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए अधिकारों के बावजूद लोकतंत्र में इस तरह की धांधली हो रही है, तो यह बेहद चिंताजनक है।
सुले ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में मेहनत से जीतना चाहिए, न कि चोरी से। उन्होंने कहा, “विपक्ष में होना कोई अपराध नहीं है, लेकिन चोरी करके जीत हासिल करना गलत है।” अपनी बात को पुख्ता करते हुए उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि जांच की शुरुआत उनके ही निर्वाचन क्षेत्र बारामती से हो। उन्होंने कहा, “मैं मेहनत से जीती हूं। अगर कोई गड़बड़ी है, तो सबसे पहले हमारे क्षेत्र की जांच होनी चाहिए।” यह बयान इस बात का संकेत है कि वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं और चाहती हैं कि सच्चाई सामने आए।
‘वॉशिंग मशीन’ और सिद्धांतों की राजनीति
इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के कथित दबाव पर बोलते हुए सुप्रिया सुले ने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लोग इन एजेंसियों के दबाव में आकर पार्टियां बदल रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “भाजपा के पास ‘वॉशिंग मशीन’ है, लेकिन हम सिद्धांतों की राजनीति करते हैं। डेटा और नंबर कभी झूठ नहीं बोलते। अगर किसी ने देश के साथ गलत किया, तो हम उसे माफ नहीं करेंगे।” यह टिप्पणी भाजपा पर उन नेताओं को ‘साफ’ करने का आरोप है जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए हैं।

किसानों, डॉक्टरों और आरक्षण के मुद्दे
सुले ने महाराष्ट्र सरकार को कई मुद्दों पर घेरा। छत्रपति संभाजीनगर में किसान आत्महत्या पर उन्होंने कहा कि राज्य में हर तीन घंटे में एक किसान आत्महत्या कर रहा है, लेकिन सरकार “घर तोड़ो, पार्टी तोड़ो” और बड़े-बड़े कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने में व्यस्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील नहीं है और न तो उन्हें फसलों का सही भाव मिल रहा है और न ही दूध जैसे उत्पादों पर कोई लाभ। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने किसानों से जो कर्जमाफी का वादा किया था, वह एक साल बाद भी पूरा नहीं हुआ है।
डॉक्टरों की हड़ताल पर सुप्रिया सुले ने सरकार से संवाद स्थापित करने की अपील की। उन्होंने कहा, “डॉक्टरों को भगवान माना जाता है और मरीजों की तकलीफ उनकी गलती नहीं है। सरकार को डॉक्टरों से बात करनी चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।”
वहीं, मराठा आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने मुख्यमंत्री से गंभीर चर्चा की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि विधानसभा सत्र में इस पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया जाना चाहिए ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस मुद्दे पर सिर्फ कंफ्यूजन फैला हुआ है।
सुप्रिया सुले ने मीना ताई ठाकरे के पुतले पर रंग फेंकने की घटना को दुखद और गलत बताया। उन्होंने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी पुतलों के पास सीसीटीवी कैमरे लगाने का सुझाव दिया। मुंबई लोकल बॉडी इलेक्शन के सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले चुनाव की घोषणा होनी चाहिए, फिर उस पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि चुनाव कब होंगे।
कुल मिलाकर, सुप्रिया सुले का यह बयान विपक्ष की एकजुटता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने की लड़ाई का प्रतीक है। उन्होंने सिर्फ राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन नहीं किया, बल्कि महाराष्ट्र की सरकार को भी कई ज्वलंत मुद्दों पर घेरा। उनके बयान से यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष ‘वोट चोरी’ जैसे बड़े मुद्दों को लेकर बेहद गंभीर है और वे इसे एक राजनीतिक लड़ाई के साथ-साथ लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई के तौर पर देख रहे हैं।

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