
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची में धांधली के लगाए गए गंभीर आरोपों पर अब मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक और अध्यक्ष कमल हासन ने भी प्रतिक्रिया दी है। हासन ने कहा है कि अगर राहुल गांधी के आरोप झूठे हैं तो चुनाव आयोग को इसे साबित करना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी गुरुवार को चेन्नई में आगामी विधानसभा चुनावों पर चर्चा के लिए आयोजित क्षेत्रीय नेताओं की एक बैठक के दौरान आई।
कमल हासन ने बैठक में पार्टी की बूथ समिति की तैयारियों की समीक्षा की और चुनावी रणनीति पर चर्चा की। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तरीकों पर जोर दिया। इसी क्रम में उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों पर अपनी राय रखी, जो उन्होंने कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र का उदाहरण देते हुए लगाए थे।
कमल हासन ने कहा, “चुनाव आयोग को उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए। अगर राहुल गांधी के आरोप झूठे हैं तो उन्हें साबित किया जाना चाहिए और अगर चुनाव आयोग उन्हें निराधार पाता है तो उचित कार्रवाई की जा सकती है।” कमल हासन का यह बयान दर्शाता है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और चाहते हैं कि चुनाव आयोग इस पर स्पष्टीकरण दे, ताकि देश के लोकतांत्रिक संस्थानों में लोगों का विश्वास बना रहे।
राहुल गांधी के आरोप:
इससे पहले, राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में 6,018 मतदाताओं के वोट हटा दिए गए हैं। उन्होंने इस मामले को “चुनावों में धांधली” का एक और उदाहरण बताया। राहुल गांधी ने चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, “मैं भारत के लोगों को एक ऐसा सबूत दिखाने जा रहा हूँ जो बिल्कुल साफ़ और स्पष्ट है कि भारत का चुनाव आयोग उन लोगों को बचा रहा है, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को नष्ट किया है।”
राहुल गांधी के अनुसार, आलंद में यह मामला “संयोग से पकड़ा गया”। उन्होंने बताया कि एक बूथ अधिकारी ने जब यह देखा कि उसके रिश्तेदार का वोट हटा दिया गया है, तो उसने इसकी जांच की। जाँच में पता चला कि वोट हटाने वाला एक पड़ोसी था, लेकिन न तो वोट हटाने वाले को और न ही जिसका वोट हटाया गया था, उसे इसकी जानकारी थी। राहुल गांधी ने दावा किया कि “किसी और ताकत ने इस प्रक्रिया को हाईजैक कर लिया और वोट डिलीट कर दिया।” उन्होंने कहा कि हटाए गए वोटों की कुल संख्या 6,018 से कहीं ज्यादा हो सकती है।

लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई:
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुछ तथाकथित सबूत भी पेश किए और दावा किया कि आलंद में मतदाताओं के नाम पर 6,018 आवेदन दाखिल किए गए थे, लेकिन जिन लोगों के नाम पर ये आवेदन दाखिल किए गए थे, उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। उनके इस दावे ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राहुल गांधी और कमल हासन दोनों के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि वे इस मुद्दे को सिर्फ एक चुनावी अनियमितता नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की अखंडता पर एक बड़ा खतरा मान रहे हैं। कमल हासन ने भी लोकतंत्र की रक्षा के लिए चुनाव आयोग से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है। यह मुद्दा अब सिर्फ कर्नाटक के आलंद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बन गया है, जहाँ चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या वह राहुल गांधी के दावों को झूठा साबित करने के लिए कोई कदम उठाता है। इस घटनाक्रम का असर भविष्य के चुनावों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि अब राजनीतिक दल और नागरिक समाज दोनों ही चुनावी प्रक्रिया की निगरानी और पारदर्शिता की मांग और भी मजबूती से उठा सकते हैं।

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