
देश के नए उपराष्ट्रपति के रूप में सी.पी. राधाकृष्णन ने शुक्रवार को शपथ ग्रहण कर लिया है। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में अपना पदभार संभाला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुबह 10 बजे 67 वर्षीय राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस समारोह में पूर्व उपराष्ट्रपतियों जगदीप धनखड़, वेंकैया नायडू और हामिद अंसारी के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल के सहयोगी और कई राज्यों के राज्यपाल भी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने।
प्रचंड जीत के साथ विपक्ष को हराया
सी.पी. राधाकृष्णन ने हाल ही में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के भारी अंतर से मात देकर शानदार जीत हासिल की थी। चुनाव में राधाकृष्णन को कुल 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। यह चुनाव 21 जुलाई को तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने के बाद 9 सितंबर को हुआ था। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने कार्यकाल के दो साल शेष रहते ही पद छोड़ दिया था, जिसके कारण मध्यावधि चुनाव कराना पड़ा।
महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा
उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद सी.पी. राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई। राष्ट्रपति मुर्मू ने राधाकृष्णन का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है। अब देवव्रत दोनों राज्यों की जिम्मेदारी संभालेंगे।
असाधारण रही है राजनीतिक यात्रा
सी.पी. राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति पद तक की यात्रा बेहद असाधारण रही है। उनका सफर छात्र आंदोलन से शुरू हुआ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ने के बाद राष्ट्रीय फलक तक पहुंचा। संघ से सक्रिय राजनीति में आए राधाकृष्णन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संगठन में लंबे समय तक काम किया। 2004 से 2007 तक वह तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान 2007 में उन्होंने 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर की लंबी रथ यात्रा निकाली, जिसका उद्देश्य देश की नदियों को जोड़ना, आतंकवाद का उन्मूलन, समान नागरिक संहिता लागू करना, अस्पृश्यता निवारण और मादक पदार्थों के खतरों से निपटना था।
अपने विनम्र और सुलभ स्वभाव के कारण राधाकृष्णन को उनके समर्थक ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहकर पुकारते हैं। उन्हें संगठन और प्रशासन दोनों क्षेत्रों में मजबूत पकड़ वाला नेता माना जाता है। ओबीसी समुदाय के कोंगु वेल्लार (गाउंडर) से आने वाले राधाकृष्णन विवाहित हैं और उनके एक बेटा व एक बेटी हैं।

दक्षिण भारत में भाजपा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका
राधाकृष्णन ने दक्षिण भारत में भाजपा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सार्वजनिक जीवन में उनका प्रवेश आरएसएस के एक स्वयंसेवक के रूप में हुआ था। 1974 में वह भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने और 1996 में उन्हें तमिलनाडु में भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद वह 1998 और 1999 में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा के लिए चुने गए। हालांकि, 2004, 2014 और 2019 के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सांसद रहते हुए वह संसदीय स्थायी समिति (कपड़ा मंत्रालय) के अध्यक्ष रहे और स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष संसदीय समिति के सदस्य भी थे।
वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व
2004 में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में राधाकृष्णन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। वह ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे। 2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, जहां उनके नेतृत्व में भारत से नारियल रेशे के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई। 2020 से 2022 तक वह केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे। उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित होने से पहले वह महाराष्ट्र के राज्यपाल थे, जहां वे पिछले साल जुलाई में नियुक्त हुए थे। इससे पहले, फरवरी 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था, और उन्होंने तेलंगाना व पुडुचेरी का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला था।
यह ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और राजनीतिक परंपराओं को दर्शाता है। सी.पी. राधाकृष्णन अब देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद की गरिमा को बनाए रखने और संसद के उच्च सदन, राज्य सभा, के सभापति के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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